High Court on Manoj Muntshir: आदिपुरुष में घटिया डायलॉग पर मनोज मुंतशिर नोटिस जारी, बुरे फंसे लेखक!

High Court on Manoj Muntshir: फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग लेखक मनोज मुंतशिर के खिलाफ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नोटिस जारी करने निर्देश दिए।

Update: 2023-06-27 10:23 GMT
High Court on Manoj Muntshir (Image: Social Media)

High Court on Manoj Muntshir: फिल्म आदिपुरुष में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त एक्शन लिया। भगवान श्रीराम पर बनीं बॉलीवुड आदिपुरुष फिल्म को लेकर दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने फिल्म के डायलॉग लेखक मनोज मुंतशिर के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया।

हाईकोर्ट की लखनऊ में न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने कुलदीप तिवारी व नवीन धवन की याचिकाओं पर सुनवाई की। फिल्म में लिखे गए घटिया डायलॉग के लेखक मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने का अपील स्वीकृत करते हुए नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। अदालत ने मामले में बुधवार को अगली सुनवाई को तारीख तय की। साथ ही केंद्र सरकार व सेंसर बोर्ड से मामले में निर्देश प्राप्त कर, न्यायालय को अवगत कराने का आदेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को दिया। इसी मामले में 26 जून को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच जस्टिस राजेश सिंह चौहान (Justice Rajesh Singh Chauhan) और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह (Justice Shri Prakash Singh) की डिवीजन बेंच ने आदिपुरुष के मेकर्स से फिल्म निर्माण और उनकी सोच पर तल्ख़ टिप्णियां की थी।

हाईकोर्ट का सेंसर बोर्ड से भी सवाल

हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील रंजना अग्निहोत्री (Advocate Ranjana Agnihotri) ने अदालत में बहस के दौरान अपना पक्ष रखा। उन्होंने फ़िल्म में दिखाए गए आपत्तिजनक तथ्यों तथा डायलॉग्स के बारे में हाई कोर्ट को बताया। वहीं, 22 जून को प्रस्तुत संशोधन आवेदन (Amendment Application) को हाई कोर्ट द्वारा स्वीकृत करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश अधिवक्ता अश्विनी सिंह से उच्च न्यायालय ने पूछा कि, 'क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का आईना होता है। कोर्ट ने मेकर्स से पूछा, आने वाले पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है?'

'धार्मिक ग्रंथों को बख्श दीजिए'

कोर्ट 'आदि पुरुष' विवाद से खासी नाराज नजर आई। वादी पक्ष की वकील रंजना अग्निहोत्री के अनुसार अदालत का ओरल ऑब्जर्वेशन था कि, 'सिर्फ रामायण (Ramayana) ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान (Quran), गुरु ग्रन्थ साहिब (Guru Granth Sahib) और गीता (Gita) जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए। बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं।'

Tags:    

Similar News