Lucknow News: 20 या 21 कब है करवाचौथ, जानिए शुभ मुहूर्त
Lucknow News: ज्योतिषाचार्य पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 06:46 से शुरू होकर 21 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 04:16 तक है।
Lucknow News: करवा चौथ पूरे भारत में विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार, जो हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के चौथे दिन पड़ता है, इसमें पत्नियां अपने पति की भलाई और दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए व्रत और प्रार्थना करती हैं। यह प्रेम, भक्ति और एकजुटता का उत्सव है जो पीढ़ियों से चला आ रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र व ज्योतिषाचार्य पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने त्योहार के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी दी।
करवा चौथ तिथि और शुभ मुहूर्त
एलयू के शोध छात्र व ज्योतिषाचार्य पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 06:46 से शुरू होकर 21 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 04:16 तक है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ्र का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा 20 अक्टूबर को शाम 05:46 से रात 07:09 बजे तक की जा सकती है। उस दिन चंद्रोदय रात 07:54 बजे होगा।
करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू - 20 अक्टूबर 2024, सुबह 06:46
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त - 21 अक्टूबर 2024, सुबह 04:16
करवा चौथ पूजा समय - शाम 05.46 से रात 07:09 बजे तक, (अवधि 1 घंटा 16 मिनट)
करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06.25 से रात 07.54 बजे तक, (अवधि 13 घंटे 29 मिनट)
करवा चौथ की रस्में
पंडित रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि करवा चौथ के दिन विवाहित स्ि्रि यां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए पूरा दिन निर्जला रहते हुए व्रत रखती हैं। व्रत शुरू होने से पहले सास के हाथों से सरगी ली जाती है, जिसके बाद से इस व्रत की शुरुआत मानी जाती है। इसके बाद रात के समय चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है और व्रती महिलाएं पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। उन्होंने बताया कि करवा चौथ का सबसे प्रसिद्ध पहलू व्रत है। विवाहित महिलाएं, अपनी पारंपरिक साड़ी पहनकर, सूर्योदय से पहले उठकर अपना भोजन करती हैं, जिसे 'सरगी' कहा जाता है। सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक, वे भोजन और पानी से दूर रहती हैं, यह उपवास लगभग 15 घंटे तक चलता है।
सरगी
सुबह-सुबह, सूर्योदय से पहले, व्रत करने वाली महिला (व्रतिनी) सरगी भोजन खाती है, जो आमतौर पर उसकी सास द्वारा तैयार किया जाता है।
उपवास
व्रतिनी सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं, भोजन और पानी से परहेज करती हैं यानि निर्जला व्रत रखती हैं।