Ghosi By Election: घोसी में दलितों का रुख बना निर्णायक, बहनजी के सियासी दांव से खलबली, सपा-भाजपा की जंग हुई दिलचस्प

Ghosi By Election: घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में दलित फैक्टर काफी अहम हो गया है। बसपा ने ऐसी सियासी चाल चल दी है कि भाजपा और सपा दोनों खेमों में खलबली मची हुई है।

Update:2023-09-04 19:18 IST
घोसी उप चुनाव में बसपा सुप्रीमों मायावती ने खेला दांव, सपा-भाजपा में खलबली: Photo- Social Media

Ghosi By Election: घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में दलित फैक्टर काफी अहम हो गया है। चुनावी शोर थमने के बाद अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हुई हैं। भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान और सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह के बीच हो रही इस जंग पर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं। इस उपचुनाव का नतीजा अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव की जंग के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस जंग से निकलने वाला संदेश काफी दूरगामी असर वाला साबित होगा।

घोसी के चुनावी अखाड़े में बसपा की ओर से प्रत्याशी न उतारे जाने से सबकी निगाहें दलित मतदाताओं के रुख पर लगी हुई हैं। चुनावी जंग का फैसला करने में 90 हजार एससी मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। इस बीच बसपा ने ऐसी सियासी चाल चल दी है कि भाजपा और सपा दोनों खेमों में खलबली मची हुई है। बसपा का कहना है कि मंगलवार को होने वाली वोटिंग के दौरान बसपाई या तो घर बैठेंगे और यदि बूथ तक जाएंगे तो फिर नोटा का बटन दबाएंगे। बसपा के इस रुख से घोसी के चुनावी अखाड़े का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।

घोसी के जातीय समीकरण पर सबकी निगाहें

दरअसल घोसी के सियासी रण में जातीय समीकरण की भूमिका शुरुआत से ही काफी महत्वपूर्ण माने जा रही है। दोनों खेमों की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बाद अब जातीय समीकरण पर ही सबकी निगाहें लगी हुई हैं। इस इलाके में सबसे ज्यादा 95 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। उसके बाद दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 90 हजार है। घोसी में राजभर मतदाताओं की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस बिरादरी से जुड़े हुए करीब 50 हजार मतदाता हैं।

इस क्षेत्र में 50 हजार नोनिया,30 हजार बनिया, 19 हजार निषाद और 15-15 हजार क्षत्रिय और कोइरी मतदाता हैं। भूमिहार मतदाताओं की संख्या करीब 14 हजार और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब सात हजार है। इनमें से सभी बिरादरी के मतदाता दोनों खेमों में बंटे हुए हैं मगर बसपा उम्मीदवार के चुनाव मैदान में न होने के कारण दलित मतदाताओं की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है।

बसपा के रुख से दोनों खेमों में मची खलबली

घोसी में दो बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में नहीं उतरे हैं। इनमें से कांग्रेस ने तो सपा प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है मगर बसपा ने भाजपा और सपा दोनों प्रत्याशियों से दूरी बना रखी है। बसपा ने दोनों में से किसी भी दल को समर्थन देने का ऐलान नहीं किया है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को संदेश दिया है कि वे या तो घर बैठें और यदि बूथ तक जाएं तो फिर नोटा का बटन दबाएं।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि पहले विधायकों को तोड़ने के लिए दलबदल कानून लाया गया और अब नई परिपाटी शुरू कर दी गई है कि किसी सदस्य को इस्तीफा दिलाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लो और फिर चुनावी मैदान में उतार दो। उन्होंने कहा कि इसी कारण हमने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

बसपा नेता ने कहा कि जो लोग वोट डालने के लिए बूथों तक जाएंगे? उन्हें भी नोटा का बटन दबाने को कहा गया है। बसपा मुखिया मायावती के इस सियासी दांव से दोनों खेमों में खलबली मची हुई है। ऐसे में दोनों दलों के बीच कड़े मुकाबले वाले इस उपचुनाव में दलित मतदाताओं के रुख पर ही सबकी निगाहें लगी हुई है।

सपा नेता शिवपाल ने लगाया बड़ा आरोप

इस बीच सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए कई दिनों से घोसी में डेरा डालने वाले सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा भय का माहौल बनाकर लोगों को वोट देने से रोकने में लगी हुई है।

सपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि बुनकरों, पिछड़ों और दलित समाज से जुड़े लोगों को भाजपा की ओर से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके डराया-धमकाया जा रहा है। उनका बिजली कनेक्शन सही होने के बावजूद काटा जा रहा है। इसके साथ ही उनकी जमीनों की नापी कराकर सरकारी भूमि बताकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।

भाजपा का पलटवार, चुनाव आयोग से शिकायत

दूसरी ओर भाजपा ने उपचुनाव में सपा उम्मीदवार की ओर से मतदाताओं के बीच पैसा बांटने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस बाबत मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर शिकायत की है उन्होंने कहा कि सपा उम्मीदवार की ओर से मुस्लिम और दलित बहुल गांवों में पैसा बांटा गया है।

उन्होंने कहा कि सपा का पूरा स्थानीय संगठन इस काम में जुटा हुआ है। उन्होंने अपने पत्र में तीन दर्जन से अधिक गांवों के नाम का उल्लेख भी किया है। उन्होंने कहा कि इन गांवों में पैसा बांटने के साथ ही सपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए धमकियां भी दी जा रही हैं।

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