मायावती का बड़ा बयान: केंद्र-राज्य सरकार पर निशाना, मजदूरों पर जताई चिंता
मायावती ने मांग की है कि केंद्र और राज्यों की सरकारे इन मजदूरों की दुर्दशा की इस स्थिति से निपटने के लिए कारगर व्यवस्था लागू करें।
लखनऊ: प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा देख कर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मांग की है कि केंद्र और राज्यों की सरकारे इन मजदूरों की दुर्दशा की इस स्थिति से निपटने के लिए कारगर व्यवस्था लागू करें।
मजदूरों के लिए केंद्र तत्काल लागू करे कोई कारगर व्यवस्था- मायावती
बसपा सुप्रीमों ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि “देश की सड़कों पर घर वापसी करते लुटे व लाचार लाखों प्रवासी मजदूर व उनके बिलखते परिवारों की भूख, बदहाली व रास्ते में हो रही मौतों के टीवी दृश्य हृदयविदारक व अति-दुखद हैं। ऐसे में केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा आज की उनकी जिन्दगी-मौत की लड़ाई से निपटने के लिए कारगर व्यवस्था तत्काल लागू हो।” इससे पहले मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा जारी आर्थिक पैकेज पर गुरुवार को भी ट्वीट किया था कि अभूतपूर्व कोरोना लाकडाउन के कारण देश की चरमराई स्थिति, अव्यवस्था व ध्वस्त अर्थव्यवस्था में थोड़ी सुधार के लिए केंद्र ने जो भी कदम उठाये हैं।
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उस पर विश्वास करते हुए बसपा का यही कहना है कि इसको जमीन पर ईमानदारी से लागू करने की जी-जान से कोशिश तत्काल शुरू कर देनी चाहिए। उन्होंने प्रवासी मजूदरों की स्थिति पर भी लिखा था कि लाचार व मजलूम करोड़ों प्रवासी मजदूरों के लिए जो 1000 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है। वह यूपी जैसे अति प्रभावित राज्यों को सीधे मिलनी चाहिए। ताकि यह उन्हे उनके अपने पांव पर खड़े होने का वास्तविक सहारा बन सकें व गरीबों-मजदूरों को आगे पलायन करने हेतु विवश न होना पडे़।
भूख से बदहाल मजदूर पैदल ही कर रहे पलायन
बता दें कि कोरोना महामारी से लड़ाई के कारण देश में देश लंबे समय से लॉकडाउन है। तीसरा चरण का लॉकडाउन चालू है जो आगामी 17 मई को खत्म होगा। इस लॉकडाउन में सबसे ज्यादा दुर्गति दूसरे प्रदेशों में जा कर काम कर रहे मजदूरों की है। लॉकडाउन के चलते विभिन्न प्रदेशों में रोजी-रोजगार के लिए गए इन प्रवासी मजदूरों के सामने जब रोजगार के साथ ही रोटी का संकट भी आ गया तो वह अपने मूल जिलों की ओर कूच कर रहा है।
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हालांकि सरकार की ओर से इनकी वापसी के लिए ट्रेन और बसों की व्यवस्था की गई है। लेकिन इनकी बड़ी संख्या को देखते हुए यह उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं। लिहाजा देश के सभी हाईवे पर पैदल आते जाते मजदूर परिवार समेत बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं। हाइवे पर खाने-पीने की सभी दुकाने बंद होने के कारण हजारों किलोमीटर का सफर तय करने निकले यह मजदूर भूख से तो बदहाल हो ही रहे है साथ ही सड़क दुर्घटनाओं का शिकार भी हो रहे है।