लखनऊ: केंद्र व विभिन्न राज्यों में सत्तासीन दल बीजेपी का जज व न्यायालय पर लगातार किए जा रहे हमले चिंता का सबब बने हुए हैं। ऐसे ही एक मामले में महाराष्ट्र के सीएम फडनवीस को लिखित हलफनामा देकर मुंबई हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार (30 अगस्त) को एक बयान जारी कर यह बात कही।
मायावती ने कहा है, कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत 'शान्ति क्षेत्र' घोषित करने संबंधी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मामले में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार द्वारा अदालत पर द्वेष के साथ काम करने का आरोप लगाकर जजों को बदलने की मांग की गई। मुंबई हाईकोर्ट ने गंभीर मामला मानकर इस पर कड़ा रुख अपनाया। इसकी वजह से बीजेपी सरकार को लिखित हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा है, इसे अब कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
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बीजेपी का रवैया चिंताजनक
बसपा सुप्रीमो ने कहा, कि 'बीजेपी सरकारों व इनके बड़े नेताओं ने जजों को अपमानित करने वाली भाषा के साथ अदालतों के विरुद्ध जो रवैया अपनाया है, वह देश के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने वाला है। खासकर डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम प्रकरण में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की फटकार के बाद बीजेपी नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर जो टिप्पणियां की हैं, उसे देश ने नापसंद किया है। यह सत्ताधारी बीजेपी की अहंकारी मानसिकता व अदालत से टकराने की उसकी खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर करता है।'
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जजों की नियुक्ति पर अड़ियल रवैया जग-जाहिर
उनका कहना है कि वैसे भी हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर केन्द्र सरकार का अड़ियल रवैया जग-जाहिर है। इसके कारण न्यायपालिका में सैकड़ों नियुक्तियां प्रभावित हो रही है। इसका न्याय व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। केन्द्र सरकार का रवैया असहयोग का बना हुआ है।
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मायावती इन मुख्य बिंदुओं पर भी बोलीं
-सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम मामलों में संविधान के मंशा की सही तौर पर व्याख्या की है।
-जो बीजेपी सरकार को पसन्द नहीं आई है।
-बीजेपी, प्रतिपक्षी पार्टियों की तरह ही कोर्ट को भी प्रतिरोधी मानकर दुःखद व्यवहार कर रही।
-बीजेपी कोर्ट की अवमानना भी करने को तैयार दिख रही है।