Meerut Nagar Nigam Ward No.89: मेरठ नगर निगम वार्ड 89 रशीद नगर के पार्षद शाहिद अब्बासी, किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं
Meerut Nagar Nigam Ward No.89 Parshad: पार्षद शाहिद अब्बासी का कहना है कि पूरे शहर में अकेला मेरा वार्ड है जहां की चमचमाती गलियों को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं।
Meerut Nagar Nigam Ward No.89: नगर निगम वार्ड-89 रशीद नगर के पार्षद नाजरीन ने अनेक ऐसे कार्य कराए हैं जिनकी यहां के लोगों को वर्षों से जरूरत थी। नाजरीन राजनीति की दुनिया में कोई जाना-पहचाना नाम नहीं है। लेकिन इनके शौहर हाजी शाहिद अब्बासी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। स्थानीय लोंगो के लिए तो शाहिद अब्बासी किसी फरिश्ते से कम नहीं है। नगर निगम में चार बार के पार्षद रह चुके हाजी शाहिद अब्बासी की गिनती समाजवादी पार्टी मेरठ के कद्दावर नेताओं में शुमार होती है। पिछली बार वार्ड-89 महिला आरक्षित होने के चलते शाहिद ने अपनी पत्नी को समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ाया था। इस क्षेत्र के क्योंकि शाहिद अब्बासी एकछत्र नेता माने जाते हैं। सो,उनकी पत्नी को चुनाव में जीत हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं आई। चुनाव में उनकी पत्नी को 37.94 फीसदी मत मिले।
पार्षद पति शाहिद अब्बासी कहते हैं,"मैने वार्ड में ही नहीं पूरे शहर में पांचवी योजना में सौ करोड़ रूपये से ज्यादा का काम कराया है। जहां तक अकेले मेरे वार्ड यानी 89 की बात है तो यहां पर पिछले पांच साल में करीब 8-9 करोड़ रुपये के काम करा दिए होंगे। ऐसे हालत में जब करीब दो साल कोरोना में खराब हो गए। लिसाड़ी रोड बनवाया, डिवाइडर बनवाया। तारापुरी पानी की टंकी के पीछे सामुदायिक भवन बनवाया। पार्षद पति शाहिद अब्बासी आगे कहते हैं," जब 95 में हम पार्षद बने थे पहली बार तब मेरे क्षेत्र की हालत ऐसी थी कि तब यहां कहीं पर भी किसी गली में खंडजा तक नहीं था। बिल्कुल कच्चा एरिया था। किसी गली में कोई खंभा नहीं था। कहीं पर भी नाली नहीं थी। कोई पानी की सुविधा नहीं थी। पानी की लाइन नहीं थी। मोहल्ले के घरों के ऊपर से 11000 वोल्ट की बिजली की लाइन जा रही थी। हमने पार्षद बनने के बाद दिन-रात बहुत मेहनत की। नतीजा सब काम हो गये। आज मेरे क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है। पूरे शहर में अकेला मेरा वार्ड है जहां की चमचमाती गलियों को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं।"
आपके क्षेत्र में स्कूल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कितने है? हमारे क्षेत्र में प्राइमरी स्कूल नहीं हैं। क्योंकि हमारे क्षेत्र में खाली जगह नहीं है। इसलिए पास के ही तारापुरी में ही हमने टंकी के पीछे सरकारी प्राइमरी स्कूल बनवाया है। स्वास्थ्य केन्द्र एक है। कोई ऐसा काम भी है जो आप कराना चाहते थे। लेकिन,करा नहीं सके? इस सवाल पर पार्षद पति शाहिद अब्बासी कहते हैं-हमने कभी क्षेत्र,वार्ड की राजनीति नहीं करी। हमारी प्राथमिकता थी शहर के बीचो-बीच जो टाउनहाल है उसका जीर्णोद्धार कराने की। यहां जो पार्क है उनका सौन्दर्यकरण हो। पार्को के फव्वारे चालू हो। ओपन जिम बने। उसमें ही स्विमिंग पुल बने। शाहिद अब्बासी आगे कहते हैं,"यह मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूं। ये बकायदा मैने मीटिंगो में पास भी कराया है। ये सब प्रोसेडिंग में भी है।"
बकौल,शाहिद अब्बासी," दरअसल,शहर के बीचो-बीच टाउनहाल की हालत सरकारी उपेक्षा के चलते बहुत दयनीय है। यहां कहीं पार्किंग बना दी गई। तो कहीं नशीड़े लोंगो का जमावड़ा लगा रहता है। हमने प्रस्ताव रखा था कि टाउनहाल में स्थित पार्को का सौन्दर्यकरण हो। सारी इमारत का जीर्णोद्वार हो। यहीं पर बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए अतिथि गृह बनाने का प्रस्ताव था। चार एंबुलेंस का प्रस्ताव था। ताकि प्रत्येक जोन में एक-एक एंबुलेंस लगे। ताकि गंभीर रुप से बीमार आदमी को या गर्भवती महिला को अस्पताल तक ले जाया जा सके।"
शाहिद अब्बासी कहते हैं- इस बात का हमें गहरा अफसोस है कि इस बोर्ड में हमने कई बार प्रस्ताव पास कराया। लेकिन हुआ कुछ नहीं। असल में कारण यह रहा कि 10-15 दिन पहले कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। मेरे पास वीडियों रिकार्डिंग भी है। इस वीडियो रिकार्डिग में हमने नियम और कानून के दायरे में जाकर एक प्रस्ताव रखा था । सदन में सर्वसम्मति से उसे सदस्यो द्वारा पूरी मेज थपथपा कर पास किया गया। प्रस्ताव यह था कि 25 करोड़ रूपये बढ़ा कर कम से कम 80 करोड़ रूपये का काम किया जाए। उसमें प्राथमिकता के आधार पर 50-50 लाख रुपये का काम सभी वार्डो में कराया जाए।"
शाहिद अब्बासी आगे कहते हैं-60 लाख रूपये का प्रस्ताव हम लाते तब जाकर 50 लाख के काम होते। हमारी सोच यह थी कि पूरे मेरठ महानगर के प्रत्येक वार्ड में 50-50 लाख रूपये में काम हो जाएंगे। और दो-दो करोड़ रुपये के जो निगम की कैबिनेट है इसके सदस्य अपने स्तर से भी दिलवा सकते पूरे शहर के लिए । पांच करोड़ रुपया नगर आयुक्त। पांच करोड़ रुपये महापौर ये अपने स्तर से दिलवा सकते हैं। यह प्रस्ताव हमने रखा था। लेकिन अफसोस की बात यह है कि बोर्ड मीटिंग में एक अल्फाज भी हमारा नहीं रखा गया। साढ़े सात सौ करोड़ रूपये का बजट है हमारा। अब साढ़े सात सौ करोड़ में अगर हम सौ करोड़ रुपये के भी कार्य बोर्ड फन्ड से नहीं करा सकते तो फिर सब बेकार है। क्येंकि नगर निगम की कार्यशैली निगम प्रशासन की ऐसी है कि यहां कोई कितना भी शोर मचा ले। कुछ नहीं होने वाला।
बकौल,शाहिद अब्बासी-बोर्ड़ का मुखिया जब मजबूत और हर तरह से ईमानदार होता है बोर्ड तब चलता है। 19 तारीख को बोर्ड की बैठक बुलाई है। जो-जो प्रस्ताव हमने कार्यकारिणी में पास कराए थे। उसका जिक्र भी नहीं है उसमें। दूसरी बात इन्होंने रिवाइज बजट डायरेक्ट बोर्ड में भेज दिया। जबकि पहले कार्यकारिणी में जाना चाहिए था। कार्यकारिणी उसमें सुधार-संशोधन कर बोर्ड को भेजती। लेकिन कोई मतलब ही नहीं है। इन चीजों का।