जब नगर पालिका ही कूड़े के ढेर में, तो क्या होगा स्वच्छता अभियान का
तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि शहर के बीच से गुजरने वाली बड़ी गंडक नहर के दोनों पटरियों पर रोजाना सैकड़ों ट्राली कूड़ा लाकर गिराया जाता है। पूरे शहर का कूड़ा ट्रैक्टर-ट्राली व नगर निगम के वाहनों से लाकर गिराया जाता है ।
गोरखपुर/कुशीनगर: लोकसभा चुनाव 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो स्वच्छता को लेकर देश के अन्दर गांव के गलियारो से लेकर शहरों तक स्वच्छता पर अभियान चलाकर स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत करने दावा किया था। सरकारी महकमों से लेकर सभी सार्वजनिक संस्थानों पर स्वच्छता का स्लोगन दिखने लगा। लेकिन 5 साल बाद भी जनपद के पडरौना नगर पालिका परिषद में स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री का यह ड्रीम प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल नजर आ रहा है।
तस्वीरों में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि शहर के बीच से गुजरने वाली बड़ी गंडक नहर के दोनों पटरियों पर रोजाना सैकड़ों ट्राली कूड़ा लाकर गिराया जाता है। पूरे शहर का कूड़ा ट्रैक्टर-ट्राली व नगर निगम के वाहनों से लाकर गिराया जाता है । इस पर न तो किसी विभागीय जिम्मेदार की नजर पड़ती है और न ही किसी जनप्रतिनिधि की, बजबजाते कूड़े के ढेर के समीप के रास्ते से गुजरने वाले राहगीर अपने मुंह पर रुमाल दबाकर गुजरते हैं। शहर के बीच में कूड़े का ढेर होने के चलते अगल बगल के रहने वाले लोग नरक के जैसे दुश्वारियां झेलने को मजबुर हैं।
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बड़ी गंडक नहर के दोनों तरफ पटरियों पर कूड़ा डालने से किसानो को भी काफी सांसत झेलनी पड़ती है। इस नहर का पानी सिचाई के लिये किसान अपने खेतो में ले जाते है और इस पानी में कूड़ा बहाने से उसमे प्लास्टिक भी खेतो में चला जाता है। जिससे किसानो के खेत एक तरफ जहा बंजर होते जा रहे है तो दूसरी तरफ खेत में लगी फसल बर्बाद हो जाती है।
प्रतिदिन बढ़ रहे पर्यावरण प्रदुषण को लेकर कई संस्थाएं प्लास्टिक को पुरी तरह से बंद करने की बात कर रही है। लेकिन नगर के कूड़े में छुपे प्लास्टिक के ढेर बताने के लिए काफी हैं की प्लास्टिक पर रोक नगर में पूरी तरह विफल है।
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वही नगर वासियों से लेकर राहगीरों तक में इस बात को लेकर काफी रोष व्याप्त है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद किए हुए है। जब इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारियों से मीडिया की टीम बात करना चाही तो अधिकारी इस मसले का हल निकालने की बात कहते हुए कैमरे के सामने आने से मना कर दिए। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत इस कूड़े के ढेर से कैसे निकलता है।