हमेशा के लिए खामोश हो गए सारंगी वादक पं. विनोद मिश्र,सेवानिवृत्ति से थे परेशान
लखनऊ सारंगी वादन का जादू बिखेरने वाले वरिष्ठ सारंगी वादक पं. विनोद मिश्र नहीं रहे। बीती नौ जनवरी को बीमार होने के बाद ब्रेन हैमरेज से जूझ रहे पं. विनोद मिश्र ने देर रात अंतिम सांस ली। वह करीब 60 वर्ष के थे। बृहस्पतिवार दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार बैकुंठधाम पर किया गया। पुत्र महेंद्र मिश्र ने उन्हें मुखाग्नि दी।
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अंतिम संस्कार के मौके पर पं विनोद के भाई तबलावादक पं प्रमोद मिश्र, तबला वादक पं. रविनाथ मिश्र, उस्ताद युगांतर सिंदूर, पं धर्मनाथ मिश्र समेत कई साथी संगीत शिक्षक मौजूद रहे। परिवार में पत्नी के अलावा पुत्र महेंद्र, पुत्री नम्रता और पुत्री प्रीति मिश्रा हैं। बीमार होने के बाद शुरुआती इलाज निजी अस्पताल से हुआ। बीते कुछ दिनों से पीजीअीई मे भर्ती थे। इलाज के दौरान करीबी और कलाकार उनके लिये आर्थिक मदद का अभियान भी चला रहे थे।
नगर के युवा सारंगी वादक हयात हुसैन खां ने कहा कि सारंगी वादन में वे उनके गुरु थे। नगर के दिग्गज मृदंगाचार्य पं. राज खुशीराम ने कहा कि उनके जैसा सारंगी वादक कोई दूसरा नहीं था। बनारस घराने के संगीतज्ञ पं विनोद ने दिग्गज कथक कलाकारों के अलावा मौजूदा पीढ़ी तक संगत की। 10-12 साल की उम्र में बजाना शुरू किया था। शास्त्रीय गायन भी सीखा, सारंगी बजाना अपने पिता पं भगवान दास मिश्र से सीखा था।
पं. विनोद मिश्र लंबे समय से भातखंडे संगीत विवि में सारंगी संगतकर्ता पद पर रहे। उनकी बेटी प्रीति ने बताया कि अप्रैल 2019 में भातखंडे प्रशासन ने पिता को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। उसके बाद से ही वे परेशान रहने लगे थे। बकाया भुगतान के लिए भी दौड़भाग करनी पड़ रही थी। मौत से दो दिन पहले वे कोमा में जा चुके थे।
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निधन के बाद बृहस्पतिवार शाम को कथक गुरु पं. अनुज मिश्र, कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह, उस्ताद इलियास खान, संगीत शिक्षिका शहनाज, एसके गोपाल, दबीर सिद्दकी, विकास श्रीवास्तव, अनिल मिश्र गुरु, डॉ. नवीन मिश्र, कंवलजीत समेत तमाम कला जगत के लोगों ने भातखंडे गेट पर उनके लिए न्याय की आवाज उठाई और दीपदान कर श्रद्धांजलि दी।