लखनऊ: राजधानी में एक अजीबो-गरीब मामले में 10 साल बाद एक नाबालिग की हत्या का केस दर्ज हुआ है। उसका शव रेलवे ट्रैक के किनारे पाया गया था, तत्कालीन सीओ सुभाष चंद्र दुबे ने उसकी मौत को आत्महत्या और हादसे के बीच की कहानी बताकर मामले को बंद कर दिया था, लेकिन परिवारवालों को पुलिस की थ्योरी पर यकीन नहीं था।
परिवारीजन पूरे मामले को केंद्रीय बाल आयोग तक ले गए। केंद्रीय बाल आयोग ने एसएसपी से जांच कर केस दर्ज करने के लिए कहा था। एसएसपी के आदेश पर गोमतीनगर पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एसओ गोमतीनगर अखिलेश पाण्डेय के मुताबिक इस मामले में मृतक के परिजनों ने एक महिला समेत चार लोगों को आरोपी बनाया है।
क्या था मामला?
-साल 2006 में आजमगढ़ निवासी नीरज का शव संदिग्ध परिस्थितियों में विभूतिखंड स्थित रेलवे ट्रैक के किनारे पड़ा मिला था।
-नीरज गोमतीनगर के विवेकखंड में विनोद राय के यहां रहकर घरेलू काम के साथ पढ़ाई करता था।
परिजनों ने लगाया था ये आरोप
-विनोद राय और उनकी बेटियों ने ही नीरज की हत्या कर शव को रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया।
-जिससे मामला आत्महत्या या हादसा लगे।
-परिजनों का कहना है कि अगर मुकदमा दर्ज करने में इतना समय लग रहा है तो इंसाफ बहुत दूर की चीज है।