वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जिला जेल में कई दुर्दांत अपराधी कैद हैं। जिनमें आबिद सिद्दीकी, गुड्डू मामा के अलावा मुख्तार और बृजेश गैंग के कई शार्प शूटर भी शामिल हैं। लेकिन ये जेल अपराधियों के लिए आरामगाह बनी हुई है। जेल में मोबाइल के इस्तेमाल की खबरें तो काफी पहले से ही आती रही हैं लेकिन जेल में इनका नेटवर्क इतना मजबूत हो गया है कि अब इसे तोड़ पाना मुश्किल लग रहा है। हालांकि इस बार शिकायत योगी दरबार में पहुंची है।
जैमर में लगा ‘जंग’, सीसीटीवी बेकार : जेल के अंदर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए दो साल पहले बड़ी कवायद शुरू की गई थी। इसके तहत जेल में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया। साथ ही जैमर को अपडेट किया गया। बंदियों को काबू में रखने के लिए इन दोनों को ‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर पर देखा गया लेकिन दो साल के अंदर ही ये सुविधाएं दम तोड़ते हुए दिखीं। अब अधिकांश सीसीटीवी कैमरे ने काम करना बंद कर दिया है। जैमर सिर्फ 2 जी नेटवर्क वाले मोबाइल को है ट्रैक कर सकता है जबकि जमाना 3 जी और 4 जी का है। लिहाजा बैरकों में धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जैमर को अपडेट करने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है। लिहाजा फायदा बंदी उठा रहे हैं। जेल सूत्रों के मुताबिक 25-30 हजार रुपए खर्च करने पर जेल के अंदर आसानी से मोबाइल पहुंच जा रहा है। एक मोबाइल को कई बंदी पीसीओ की तरह इस्तेमाल करते हैं। इसके एवज में उनसे मनमाफिक वसूली की जाती है। आला अधिकारी भी मानते हैं कि जेल में मोबाइल का इस्तेमाल हो रहा है। एसपी सिटी दिनेश सिंह का कहना है कि बरामद मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली जा रही है।
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बैरकों में संख्या से अधिक बंदी : जिला जेल की क्षमता 747 बंदियों की है लेकिन मौजूदा समय में यहां 1920 बंदी है। इन बंदियों को काबू में करने के लिए जेल में 80 बंदीरक्षकों का प्रावधान है लेकिन सिर्फ 67 बंदीरक्षक ही ड्यूटी पर तैनात हैं। इसी तरह डिप्टी जेलर के 6 पदों में से 2 पद खाली पड़े हैं। इस संबंध में जिला जेल का प्रभारी अधीक्षक अंबरीष गौड़ का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। बताया जा रहा है कि बंदीरक्षकों को कमी का फायदा जेल में बंद बंदी उठा रहे हैं। वैसे, जिला जेल में मोबाइल बरामद होना नई बात नहीं है। नवंबर 2017 को दस दिनों के अंदर दो मोबाइल बरामद हुए थे। 17 अप्रैल 2017 को एसटीएफ ने बंदीरक्षक की मदद से एक कुख्यात अपराधी की बातचीत का ब्यौरा टैप किया था। दो साल पहले अप्रैल महीने में बंदियों ने जेल अधीक्षक को बंदी बनाकर जमकर उपद्रव किया था। लगभग सात घंटे तक बंदियों ने जेल को बंधक बनाया था। इस घटना के बाद जेल के अंदर कई तरह के बदलाव की बात कही गई थी।
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जेल से चल रहा है गैंग : जानकार बताते हैं कि जेल में बंद अपराधी मोबाइल के जरिए जरायम की दुनिया में अपनी बादशाहत बनाए रखते हैं। मोबाइल से गुर्गों को निर्देश देना इन अपराधियों के लिए बेहद आसान बन गया है। वाराणसी जिला जेल बेहद संवेदनशील है क्योंकि यहां कई शातिर अपराधी बंद हैं। इनमें आबिद सिद्दीकी और गुड्डू मामा पूर्वांचल के कुख्यात रईस बनारसी के बेहद करीबी हैं। दोनों के ऊपर सपा नेता विजय यादव पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। इसके अलावा भदोही के गोपीगंज का रहने वाला राजीव पांडेय डिप्टी जेलर अनिल त्यागी हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। मिर्जापुर के चुनार का रहने वाला अतुल सिंह और विवेक सिंह भी इस वक्त जेल में बंद हैं। इन सभी के पास से मोबाइल बरामद हुआ है।
बंदीरक्षक और जेलर आमने-सामने : कुछ दिनों पहले जिला जेल के बैरक नंबर तीन से पांच बंदियों के पास सात मोबाइल बरामद हुए तो हंगामा मच गया। बंदियों के उपद्रव को देखते हुए जेल में पगली घंटी बजानी पड़ी। मौके पर जिले के आला अधिकारी पहुंचे तो तस्वीर का दूसरा पहलू सामने आया। जेल के बंदीरक्षकों ने मोबाइल इस्तेमाल के लिए जेलर ही संगीन आरोप लगा दिए।
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बंदीरक्षकों का कहना था कि जेलर पीके त्रिवेदी पैसे लेकर मोबाइल के इस्तेमाल की अनुमति देते हैं। कुछ बंदियों ने भी इसका समर्थन किया। जेल के अंदर मोबाइल के खेल की शिकायत अब एडीजी जेल तक पहुंच गई है। जांच का दायरा बढऩे लगा है। लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या स्थानीय पुलिस अधिकारियों को जेल के अंदर मोबाइल के इस्तेमाल की खबर नहीं थी या फिर वो जानबूझकर बेखबर बने हुए हैं।