Gorakhpur News: गोरखपुर में बोले सीएम योगी, सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति से ही सुरक्षित रहेगा भारत

Gorakhpur News: ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि समारोह के मौके पर सीएम योगी ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म एवं संस्कृति से ही भारत सुरक्षित रहेगा।

Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-09-23 12:15 GMT

गोरखपुर: सीएम योगी

Gorakhpur News: ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ (Mahant Digvijaynath) की 52वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Mahant Avedyanath) की 7वीं पुण्यतिथि समारोह की गुरुवार को अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महन्त दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ जी ने राष्ट्रधर्म को सभी धर्मो से ऊपर माना। उन्होंने माना कि भारत को यदि भारत बने रहना है, तो इसकी कुंजी सनातन हिन्दू धर्म (Sanatan Hindu Dharma) एवं संस्कृति में है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महन्त दिग्विजयनाथ आनन्दमठ की सन्यासी परम्परा के साक्षात प्रतिमूर्ति थे। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भी तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का आरोप लगा। चौरी-चौरा काण्ड में महन्त दिग्विजयनाथ को आरोपित किया गया। ये घटनायें इस बात की प्रमाण है कि गोरक्षपीठ ने उस सन्यासी परम्परा का अनुसरण किया, जो मानती रही है, राष्ट्रधर्म ही हमारा धर्म है। राष्ट्र की रक्षा भी सन्यासी का प्रथम कर्तव्य है।

गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वरों द्वारा प्रारम्भ की गई यह परम्परा आगे भी निरन्तर चलती रहेगी। गोरक्षपीठ द्वारा संचालित सभी संस्थायें जहां भी जो भी अच्छा हो उसके साथ खड़ी हों और उसके साथ चलें। गोरक्षपीठाधीश्वर ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना का पूरा श्रेय महन्त दिग्विजयनाथ को है। उन्होने दो महाविद्यालयों सहित पूरी सम्पत्ति विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु दान न की होती तो गोरखपुर में विश्वविद्यालय का सपना अधूरा रहता। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने महन्त जी के निर्देशन पर अपना पूरा योगदान दिया। आज गोरखपुर उच्च शिक्षा का एक प्रतिष्ठित केन्द्र बना हुआ है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् तब से अब तक गोरखपुर विश्वविद्यालय को अपनी संस्थाओं की तरह ही संरक्षित एवं सवंर्धित करती रही है।


व्यक्तिगत धर्म से राष्ट्रधर्म बड़ा है- सीएम योगी 

सीएम ने कहा कि हमारे पूर्व के पीठाधीश्वरों ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि व्यक्तिगत धर्म से राष्ट्रधर्म बड़ा है। यदि व्यक्ति का विकास चाहिए तो राष्ट्र का विकास उसकी अनिवार्य शर्त है। समर्थ भारत और समृद्धि की पूरी परिकल्पना भारत के संविधान में निहित है। भारत के अनेक मनीषियों एवं बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने भारत का जो संविधान हमें दिया है, वह उसी भारत के निर्माण का आधार है, जैसा भारत हम चाहते हैं। भारत की ऋषि परम्परा एवं भारत के संत परम्परा ने जिस भारत की परिकल्पना प्रस्तुत की है, उसे हम भारत के संविधान में देख सकते है। भारतीय संस्कृति में छुआछूत, ऊॅच नीच जैसी किसी भेदभाव को स्थान प्राप्त नहीं है। श्रीगोरखनाथ मन्दिर में सभी पंथों के योगी-महात्मा रहते है। दोनों ब्रह्मलीन महन्त जी महाराज ने हिन्दुत्व को ही श्रीगोरखनाथ मन्दिर का वैचारिक अधिष्ठान बनाया।

सरकार संस्कृति और संस्कृत का सरंक्षण कर रही

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार संस्कृत व संस्कृति के संरक्षण के साथ ही गो-संरक्षण के लिए प्रयास कर रही है। गो-वंश के संरक्षण व संस्कृत संरक्षण के लिए सरकार ने मठ-मन्दिरों का आह्वान किया है। सरकार के साथ सभी का योगदान होने पर यह कार्य अपने लक्ष्य को पूरा करेगा। जिन विसंगतियों के कारण देश का विभाजन हुआ, जिन मूल्यों के पतन होने से हिन्दू संस्कृति में गिरावट हुई। उन सभी विसंगतियों को दूर करने के लिए गोरक्षपीठ ने अनेक प्रयास किये।



देश के विकास पुरूष हैं मोदी-योगी: स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती

कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान युग में साधु-सन्तों को मठ-मन्दिरों से बाहर निकालकर देश और समाज के लिए काम करने का मार्ग इस पीठ ने दिखाया। मोदी-योगी देश के विकास पुरूष हैं। ये दो व्यक्ति नहीं बल्कि राष्ट्र के वैचारिक अधिष्ठान के प्रतिकूल है। स्वामी गोपाल जी ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में आध्यात्मिक शक्ति का जागरण करने में महन्त दिग्विजयनाथ की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रहीं है। आध्यात्मिक राष्ट्रवाद का आह्वान राष्ट्रधर्म बन गया।

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