Kaushambi Rajkiya Ayurvedic Chikitsalaya: चिकित्सा अधिकारी करते हैं दवा वितरण, कर्मचारियों की कमी का दंश

Kaushambi Rajkiya Ayurvedic Chikitsalaya: कौशांबी के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में कर्मचारियों के कारण प्रभारी चिकित्सा अधिकारी स्वयं अकेले मरीजों परीक्षण कर दवा स्वयं वितरण करते हैं।

Report :  Ansh Mishra
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-10-08 12:11 IST

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, कौशांबी (फोटो- न्यूज ट्रैक) 

Kaushambi Rajkiya Ayurvedic Chikitsalaya: राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय कर्मचारियों के कमी का दंश झेल रहा है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी स्वयं अकेले मरीजों परीक्षण कर दवा स्वयं वितरण करते हैं। जिससे मरीजो को काफी समय इंतजार करना पड़ता हैं। कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए चिकित्सा अधिकारी ने कई बार विभाग को पत्र लिखकर मांग भी की है। लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पश्चिमशरीरा काफी समय से चिकित्सक विहीन चल रहा था। फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय के सहारे मरीजों का इलाज होता था, जिससे मरीजों का इस चिकित्सालय से विश्वास उठ चुका था। लेकिन जब से नवागत प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ भूपेन्द्र मणि त्रिपाठी आए इन्होने चिकित्सालय को व्यवस्थित कर मरीजों का इलाज शुरु किया तो मरीजो की भीड़ गई।

गौरतलब है कि डॉ. त्रिपाठी आयुर्वेद में एम.डी. हैं। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पश्चिमशरीरा में प्रतिदिन औसतन चालीस से पचास मरीज दवा के लिए आते हैं। दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ रही है। पूर्व में चिकित्सा अधिकारी के साथ तीन अन्य कर्मचारियों का स्टाफ कार्य कर रहा था। लेकिन जून माह के अंत में मुख्यालय स्थित अस्पताल के चीफ फार्मासिस्ट के सेवा निवृत्त होने से पश्चिम शरीरा में नियुक्त फार्मासिस्ट को सप्ताह में तीन दिन मंझनपुर में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में संबद्ध कर दिया गया। यहां नियुक्त वार्ड ब्वाय को जून में ही राजकीय यूनानी चिकित्सालय सेउड़ा में संबद्ध कर दिया गया था, जिससे चिकित्सालय में पिछले चार महीने से न तो स्थाई फार्मासिस्ट है और न ही वार्ड ब्वाय।

प्रभारी चिकित्सा अधिकारी अकेले सम्पूर्ण व्यवस्था के जवाब देह हैं। चिकित्साअधिकारी प्रतिदिन मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद स्वयं दवा का वितरण करते हैं। जिससे मरीजों को काफी देर तक दवा के लिए इंतजार करना पडता है। अभी एक फर्मासिस्ट तीन दिन इस चिकित्सालय में आता है तथा तीन दिन अन्य चिकित्सालय में ड्यूटी करता है। वार्ड ब्वाय भी नहीं है।

जिले से मिली जानकारी के अनुसार प्रभारी चिकित्साधिकारी पश्चिम शरीरा ने कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए कई बार विभाग से पत्र व्यवहार भी किया है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस संबंध में सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी अनवरत चिकित्सालय मे रहकर मरीजों का इलाज करते हैं।

अनुभवी और योग्य चिकित्सा अधिकारी के इलाज से आयुर्वेद मे लोगों का भरोसा होने लगा है लेकिन यदि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी गैर जिम्मेदाराना फर्ज निभाएंगे तो आयुर्वेदिक चिकित्सालय अव्यवस्था का शिकार हो जाएगा। 

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