UP Election 2022: गंगा और जमुना के बीच में बसा दोआबा, 2022 में चुनावी रणनीति को लेकर पार्टियां लहराने लगीं अपना परचम
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के जनपद कौशाम्बी में गंगा और जमुना के बीच में बसा दोआबा में आगामी विधानसभा 2022 के चुनाव में चुनावी रणनीति को लेकर पार्टियां अपना परचम लहराने लगीं हैं।
UP Election 2022 News: राजनीतिक गलियारों में एवं गलियों पर तीनों त विधानसभा में मुकुट पहनने को लेकर हर दिन कोई गंगा माई की डुबकी लगा रहा है, तो कोई जमुना माई की डुबकी लगा रहा। अब देखना यह होता है कि गंगा माई की डुबकी लगाने से किसकी नैया पार होगी।
गंगा और जमुना की धार लहराती हुई किस मोड़ पर किस लहर पर ले जाएगी आने वाला वक्त और समय बताएगा। दोआबा के इस पावन धरती से निकल कर ऐसे दिग्गज नेता तैयार हुए जोकि पार्टी की कमान तक संभालने लगे। दोआबा की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने वाली पार्टी अपनी उम्मीद की किरण लेकर दोआबा के कौशांबी जिले में तीनों विधानसभा में अपने-अपने प्रत्याशी मैदान पर उतारेंगे और वहीं से अन्य पार्टियों के साथ कुश्ती शुरू होगी।
पार्टियां इन दिनों जनता के सामने तेजी से सुर्खियां बटोर रही हैं
अन्य पार्टियां इन दिनों तेजी से सुर्खियां बटोर रही हैं, तो कहीं सत्ता की हनक पर बेलगाम होते हुए नेता भी अपने बेलगाम भाषण को पेश कर रहे हैं। आए दिन चर्चाओं में रहने वाला जनपद कौशांबी (District Kaushambi) विकास के मुद्दों की बात की जाए तो विकास की गलियारों और विकास की गलियां पर काम की अपेक्षा देखी जाए तो इसका परिणाम खुदी जनता तय करेगी की दोआबा की विकास की गलियों और गलियारों पर क्या विकास हुआ है। तो वही अन्य पार्टी भी अपने भाषण की बात पर एक दूसरे पर खींचातानी शुरू कर दिए हैं।
कोई पब्लिक से कह रहा है कि मेरा बनाया हुआ जिला है मेरे सरकार में नौकरिया 95% कौशांबी जनपद में नव युवकों को मिली है। तो वही लगातार चुनावी संघर्ष को लेकर सत्ता पर रहने वाली पार्टी दोआबा (Doaba) में लगातार अपने विधानसभा में कार्यक्रम का सिलसिला जारी रखा है। अब दोआबा की जमुना और गंगा माई की कृपा किस पर बरसेगी यह तो 2022 की रणनीति और 2022 का रिजल्ट आने तक तय करेगा।
चुनाव जीतने के तरीके अब पहले जैसे नहीं रहे
चुनाव आयोग की कोशिश रही है निष्पक्ष रूप से चुनाव कराये जा सकें, चुनावों में धन का अपव्यय न हो, योग्य व्यक्ति चुनाव लड़ने की हिम्मत कर सके, मतदाता सुयोग्य व्यक्ति को वोट दे, अब चुनाव बहुत महंगे हो चुके हैं। जम कर काला धन बहाया जाता है। नेताओं की नजर में पैसा, पैसा होता है। न काला न सफेद, उद्देश्य चुनाव जीतना है।
टिकट मिलने के बाद नामांकन के लिए ऐसे शानो शौकत से जाते हैं, जैसे विजय जलूस। खुली जीप या ट्रकों पर सजाये गए मंचों पर उम्मीवार अपने एरिया की जनता को हाथ जोड़ते एवं हाथ हिलाते हुए निकलते हैं। उनके साथ कार्यकर्त्ताओं की लम्बी भीड़ फूल बरसाती चलती है। गाड़ियों की लम्बी कतारों का काफिला घरों की छतों, घर की बालकनी पर तमाशा देखने वाले नजारा देखते हैं। श्री राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में दशहरे का जलूस फीका पड़ जाता हैं। झांकियों को छोड़ कर सभी लाव लश्कर देखे जा सकते हैं।
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