Ram Mandir: बाबरी मुकदमे के पक्षकार इकबाल अंसारी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण, आने पर बोली ये बात

Ram Mandir: अंसारी ने कतार में खड़े होकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया था और उनके ऊपर फूल बरसाए थे। इकबाल अंसारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अयोध्या की तस्वीर बदल गई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-01-05 16:13 IST

Ram Mandir Invitation (Photo: Social Media)

Ram Mandir: बाबरी मस्जिद मुकदमे में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र दिया गया है। यह निमंत्रण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दिया गया है। हाल ही में 30 दिसंबर को पीएम मोदी ने अयोध्या का दौरा किया था। पीएम मोदी के रोड शो के दौरान जब काफिला पांजी टोला इलाके से गुजरा तो इकबाल ने कहा था कि मोदी हमारे यहां आए हैं। वह हमारे मेहमान हैं और हमारे प्रधानमंत्री हैं। इस दौरान अंसारी ने कतार में खड़े होकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया था और उनके ऊपर फूल बरसाए थे। इकबाल अंसारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अयोध्या की तस्वीर बदल गई है। शहर में जमकर विकास कार्य कराए गए हैं।

हाशिम अंसारी के पुत्र

भूमि विवाद मामले में इकबाल के पिता हाशिम अंसारी सबसे उम्रदराज वादी थे। उनका निधन 95 साल की उम्र में साल 2016 में हो गया था। इसके बाद कोर्ट में मामले को इकबाल ने आगे बढ़ाया था। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया था और राम मंदिर के निर्माण करने के लिए कहा था। इसके अलावा एक मस्जिद के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ का भूखंड खोजने के लिए कहा था। राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद इकबाल अंसारी ने देश के मुसलमानों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सम्मान देने की अपील की थी।

मोहम्मद हबीब को भी निमंत्रण

मिर्ज़ापुर में जमालपुर ब्लाक में जफराबाद के रहने वाले मोहम्मद हबीब को भी निमंत्रण मिला है। उन्होंने 1992 में अयोध्या में भव्य प्रभु राम का मंदिर बनने का सपना देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए वह 1992 में कारसेवक के रूप में अयोध्या गये थे। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अक्षत निमंत्रण ले कर उनके पास पहुंचे तो वह भावुक हो गये। 1992 में उन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के लिए हुए आंदोलन में कारसेवक के रूप में उन्होंने भाग लिया था।

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