रियल स्टेट नहीं औद्योगिक नीति पर काम करे प्राधिकरण: सतीश महाना

Update: 2018-09-27 13:42 GMT

नोएडा: औद्योगिक विकास के नाम पर बनी प्राधिकरण अपने को रियल स्टेट प्राधिकरण न समझे। वह औद्योगिक नीतियों के तहत अपना काम करे। नोएडा का पिछली सरकारों से कोई कनेक्शन ही नहीं था। यही वजह रही कि कई योजनाओं में नोएडा उपेक्षित रहा तो कई में अपेक्षित। नोएडा आलोचानाओं का शिकार रहा। लेकिन बीते कुछ सालों में यहां कई काम हुए। पर्ची वाला काम समाप्त हो गया। सिविक एम्यूनिटी (सफाई, सड़क, शौचालय) इत्यादि पर काम किया गया। सड़कों को प्रदूषण मुक्त किया गया। डस्ट फ्री जोन बनाए जा रहे है। बंगलुरू के बाद नोएडा को इलेक्ट्रानिक हब के रूप में पहचान मिल रही है। जलभराव पिछले साल के मुकाबले कम हुआ है। वर्ष 2014 और उससे पहले से चक्कर लगा रहे बायर्स को फ्लैट मिलने लगे हैं। यह जानकारी गुरुवार को नोएडा प्राधिकरण की समीक्षा बैठक के बाद औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने प्रेस वार्ता के दौरान कही है।

इलेक्ट्रानिक हब के रूप में मिली पहचान

देश में बंगलुरू और अहमदाबाद के बाद नोएडा को इलेक्ट्रानिक हब के रूप में पहचान मिलने लगी है। इसकी वजह निवेशकों का इस ओर बढ़ता रूझान है। फरवरी में 2018 में लखनऊ में हुई इंवर्स्ट मीट के दौरान 4.28 लाख करोड़ रुपए के निवेश के लिए एमओयू साइन किए गए। जिसमे 29 जुलाई 2018 तक 60 हजार करोड़ रुपए के एमओयू पर कार्य शुरू कर दिया गया। निवेशकों को प्लाट मिल चुके है। इन पर भूमि पूजन इत्यादि का कार्य किया जा चुका है। इसी के चलते दिसंबर में यहा एक बार फिर ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे निवेशकों को बेहतर विकल्प दिए जाएंगे। शहर में टीसीएस, पेटीएम, केंट, सुमी और हायर कंपनी बड़ी निवेशक है। जिसमें हायर के साथ तीन हजार करोड़ रुपए का निवेश पर एमओयू साइन किए गए।

उन्होंने बताया कि अब 34 बड़ी कंपनियां नोएडा में निवेश करने जा रही हैं। जबकि एक हजार से ज्यादा कंपनियां पूरे प्रदेश में निवेश को तैयार हैं। इस स्थिति में यहा हजारों की संख्या में नए रोजगार के मार्ग खुलेंगे।

31 मार्च 2019 तक का दिया फरमान

वर्तमान में शहर में करीब आठ परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। इन सभी परियोजनाओं को 31 मार्च 2019 तक पूरा करने का फरमान औद्योगिक विकास मंत्री ने प्राधिकरण चेयरमैन को सुनाया है। यही नहीं पार्किंग समस्या से निजात दिलाने के लिए भूमिगत पार्किंग का काम भी 31 मार्च तक पूरा करने के लिए कहा है। इससे 10 हजार वाहन चालकों को पार्किंग का स्थान मिल जाएगा। ऐसी करीब 422.46 करोड़ रुपए की परियोजनाएं हैंं। जिनको शामिल किया गया है। इसके अलावा दिसंबर 2018 से शुरू होने वाली परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। इसमें किसी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

परियोजना लागत (करोड़)

सेक्टर-24, 25, 32, 33 अंडरपास 55.55

सेक्टर-91 में औषधि पार्क 23.94

सेक्टर-33 शिल्प हॉट एवं बुनकर भवन 79.50

यमुना नदी कालिंदी कुंज के निकट यमुना पुल 119.95

शाहदरा ड्रेन पर कई स्थानों पर पुलों का चौड़ीकरण 50.33

दादा-दादी पार्क सेक्टर-62 14.57

सेक्टर-108 ट्रैफिक पार्क 34.71

सेक्टर-94 कमांड कंट्रोल सेंटर 22.17

दिसंबर 2018 में शुरू होने वाली परियोजना (कुल लागत 1589.94 करोड़)

परियोजना:

 

नोएडा ग्रेटरनोएडा एक्सप्रेस-वे के

नीचे 2.36 किलोमीटर दूरी पर सेक्टर-96 97.66

व 126 के मध्य अंडरपास का निर्माण

 

सेक्टर-51.5271 एवं 72 के चौराहे 55.28

(जंक्शन नं.-6) अंडरपास

 

चिल्ला रेगुलेटर , सेक्टर-14ए से एमपी-3 650

 

शाहदरा ड्रेन के समानान्तर एलिवेटड

डीएससी मार्ग पर अगाहपुर पेट्रोल पंप से 460

एसईजेड तक एलिवेटड

 

सेक्टर-168 में 100 एमएलडी व सेक्टर-123 में 327

80 एमएलडी के एसटीपी का निर्माण

 

औद्योगिक सेक्टरों में व्यवसायीकरण को किया जाएगा नियमित

शहर के औद्योगिक सेक्टरों में लगातार औद्योगिक इकाईयों के साथ व्यवसायिक व संस्थागत इकाईयां चल रही हैं। इसका निरंतर विरोध विभिन्‍न औद्योगिक संगठनों द्वारा किया जाता रहा है। लेकिन इनको हटाना कोई विकल्प नहीं है। औद्योगिक विकास मंत्री ने स्पष्ट कहा कि हमारी नीति यह नहीं है कि इनको हटाकर इन संस्थाओं में कार्यरत लोगों को बेरोजगार कर दिया जाए। इनकी संख्या भी शहर के औद्योगिक सेक्टरों में कई हजार है। लिहाजा एक पॉलिसी तैयार की जाएगी। इस पॉलिसी के तहत इनको नियमित करने का रास्ता निकाला जाएगा। हालांकि यहां के प्राधिकरण अब रियल स्टेट प्राधिकरण की राह छोड़कर औद्योगिक प्राधिकरण बनें। जिसके लिए इनको बनाया गया और इनका मुख्य कार्य औद्योगिक नीतियों के तहत शहर का विकास करना है।

कमांड कंट्रोल रूम से स्मार्ट सिटी की तय होगी रूप रेखा

सेक्टर-94 में प्राधिकरण द्वारा कमांड कट्रोल रूम का निर्माण किया जा रहा है। इसका निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि इसको उन्हें दिया जाए। लेकिन प्राथमिकता के तौर पर इसका प्रयोग शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए किया जाएगा। यह सिविक एम्यूनिटी के लिए शहर का कमांड रूम होगा। इसके बाद पुलिस प्रशासन को भी इसमें स्थान दिया जाएगा। वहीं, शहर की सड़कों की साफ-सफाई के लिए दिन व सुबह की बजाए रात में मेकेनिकल स्वीपिंग का काम किया जाएगा। ताकि यहां यातायात जाम की समस्या न हो।

फ्लैट में सुविधा व रजिस्ट्री न कराने वाले बिल्डरों की होगी समीक्षा

अप्रैल-2017 से सितंबर 2018 तक कुल 19907 फ्लैटों के कंपलीशन के लिए बिल्डर को सीसी जारी किए गए हैं। सवाल यह था कि इनमें से अधिकांश बिल्डरों द्वारा न तो बायर्स को बेसिक सुविधा दी गई और न ही रजिस्ट्री कराई जा रही है। जिससे सरकार को करीब 500 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। बतौर निबंधन विभाग द्वारा जिला अधिकारी को पत्र लिखकर कई बार बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए कहा जा चुका है। लिहाजा औद्योगिक विकास मंत्री ने स्पष्ट कहा कि ऐसे बिल्डरों की समीक्षा की जाएगी। साथ ही नियमानुसार कार्यवाही करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रियों की समिति द्वारा इस पर कार्य किया जा रहा है। ऐसे में लिफ्ट व तमाम तरह की सुविधा के लिए एक पॉलिसी का निर्माण किया जाएगा।

औद्योगिक विकास मंत्री ने किया निरीक्षण

शहर में बन रही परियोजनाओं में एनटीपीसी अंडरपास के अलावा शिल्प हाट, बुनकर भवन योजनाओं का औद्योगिक विकास मंत्री ने निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्राधिकरण अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। इसके साथ ही समय पर कार्य पूरा करने की हिदायद भी दी।

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