मुल्क की आजादी में उलेमा का अहम योगदान,शान से मनाए गणतंत्र दिवस : दारुल उलूम
विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने देश के सभी मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थाओं को गणतंत्र दिवस शान से मनाने की अपील की है। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि मुल्क की आजादी में उलेमा का महत्वपूर्ण्पा योगदान है इसलिए मदरसों को राष्ट्रीय पर्व धूमधाम से मनाने चाहिए। बुधवार को जारी ब्यान में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबु
सहारनपुर: विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने देश के सभी मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थाओं को गणतंत्र दिवस शान से मनाने की अपील की है। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि मुल्क की आजादी में उलेमा का महत्वपूर्ण्पा योगदान है इसलिए मदरसों को राष्ट्रीय पर्व धूमधाम से मनाने चाहिए।
बुधवार को जारी ब्यान में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि हिंदुस्तान को अग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए उलेमा व मदारिस ने जो कुर्बानियां दी है, वह सुनेहरे अलफाजों से लिखने लायक हैं।
मौलाना ने कहा कि सन 1857 में शामली के मैदान में उलेमा ए देवबंद ने अंग्रेजों के खिलाफ आमने सामने की जंग लड़ी थी, और इस जंग में दारुल उलूम के संस्थापक मौलाना कासिम नानौतवी स्वयं शामिल हुए थे। दारुल उलूम देवबंद के प्रथम छात्र शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन देवबंदी द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ चलाई गई रेशमी रुमाल तहरीक भी तारीक का एक अहम हिस्सा है। इसके अलावा हजारों नाम शामिल हैं जिन्होंने अपने प्यारे हिंदुस्तान की खातिर अंग्रेजों से लोहा लिया और देश की आजादी के लिए हंसते हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी।
मौलाना ने दो टूक कहा कि अगर हमारे उलमा कुर्बानियां न देते तो हिन्दुस्तान को आजाद कराना दुश्वार था। अफसोस है कि मुल्क के बंटवारे के बाद उलमा की कुर्बानियों को नजरअंदाज किया जा रहा है और इतिहास बदलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह मुल्क हमारा है और इसकी आजादी और जम्हूरियत भी हमारी है। इसलिए तमाम मदरसों के जिम्मेदारों को चाहिए कि वे गणतंत्र दिवस पर मदरसों में कायक्रम आयोजित कर पढ़ने वाले बच्चों को मुल्क की आजादी की तारीख बताए और उन्हें मदरसों व उलमा की कुर्बानियों से वाकिफ कराएं।