Swami Prasad Maurya: 80:20 के जवाब में 85:15 का फॉर्मूला, योगी के जवाब में स्वामी प्रसाद मौर्य की नई गणित, आखिर क्या है इसका मतलब
Swami Prasad Maurya: सियासी जानकारों का मानना है कि दोनों नेताओं के फार्मूले में फर्क साफ झलकता है। जहां योगी के फार्मूले को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन के नजरिए से देखा गया था।
स्वामी प्रसाद मौर्या
UP Election 2022: प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के सपा (Samajwadi Party) में शामिल होने के साथ ही प्रदेश की सियासत ने नई करवट ली है। समाजवादी पार्टी में जॉइनिंग के समय आज उन्होंने भाजपा पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर हमला करते हुए प्रदेश सरकार पर दलितों, पिछड़ों, किसानों, मजदूरों और युवा वर्ग से जुड़े लोगों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। मौर्य के संबोधन में सबसे दिलचस्प बात 85:15 के फार्मूले की चर्चा रही। इस फार्मूले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 80:20 के फार्मूले का जवाब माना जा रहा है।
सियासी जानकारों का मानना है कि दोनों नेताओं के फार्मूले में फर्क साफ झलकता है। जहां योगी के फार्मूले को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन के नजरिए से देखा गया था, वही स्वामी प्रसाद मौर्य के फार्मूले को जातीय गोलबंदी के नजरिए से देखा जा रहा है। भाजपा से इस्तीफा देकर सपा का दामन थामने वाले सभी पूर्व मंत्रियों ने अपने इस्तीफे में एक ही भाषा का इस्तेमाल करते हुए दलितों और पिछड़ों की अनदेखी का आरोप लगाया है। माना जा रहा है कि सपा और मौर्य इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में जुटे हैं ताकि भाजपा के फार्मूले को जवाब दिया जा सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एक चैनल से बातचीत के दौरान 80:20 के फार्मूले की चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों की भाजपा से नाराजगी का झूठा प्रचार किया जा रहा है जबकि प्रदेश के चुनाव में बात इससे काफी ज्यादा आगे निकल चुकी है। उनका कहना था कि अब यह चुनाव 80 बनाम 20 में तब्दील हो चुका है। इसलिए भाजपा को घबराने की तनिक भी जरूरत नहीं है। हालांकि पूछे जाने पर भी उन्होंने इस 80 और 20 के फार्मूले को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया।
सियासी जानकारों का मानना है कि इसका मतलब पूरी तरह साफ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदू और मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की बात को हवा दे रहे हैं। यदि उत्तर प्रदेश के जाति के आंकड़ों को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में करीब 20 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है और योगी का इशारा साफ तौर पर इसी आबादी की ओर था। ऐसी स्थिति में भाजपा को इसका सियासी फायदा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
जातीय गोलबंदी का मौर्य का फॉर्मूला
योगी के फार्मूले की काट पेश करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब 85:15 का फार्मूला पेश किया है। समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मौर्य ने यह बड़ा फार्मूला पेश किया।
मौर्य और उनके साथ जुड़े नेता अभी तक जातीय समीकरण की राजनीति करते रहे हैं और माना जा रहा है कि इस फार्मूले के जरिए भी उन्होंने भाजपा की काट के लिए जातीय समीकरण का अस्त्र अपनाने की बात कही है। सपा दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों की गोलबंदी में लगी हुई है। यह गोलबंदी उसके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसीलिए मौर्य की ओर से यह नया फॉर्मूला पेश किया गया है।
पिछड़ों पर क्यों है सबकी नजर
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब जातीय समीकरणों को हवा देने की पूरी कोशिश की जा रही है। योगी सरकार से कई पिछड़े मंत्रियों के इस्तीफे से पिछड़ों की नाराजगी का संदेश गया है और यही कारण है कि भाजपा अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है।
प्रदेश में पिछड़ों की आबादी करीब 45 फीसदी है और 2017 के चुनाव में भाजपा को इस वर्ग का बड़ा समर्थन हासिल हुआ था। 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने इस वोट बैंक के लिए भाजपा की तगड़ी घेरेबंदी कर रखी है। किसी भी दल की जीत में यह वर्ग निर्णायक भूमिका अदा करेगा।