सैंड आर्टिस्ट का अनोखा कमाल, रेत से बनाई अयोध्या की अनोखी कलाकृति
बलिया जिले के राजा का गांव खरौनी के रहने वाले रूपेश सिंह ने आज देश को राम मंदिर की अपनी एक अनुपम कृति भेंट किया । उन्होंने अपने गांव में रेत पर उकेरकर यह अनोखी कलाकृति तैयार किया है ।
बलिया । सैंड आर्ट में विश्व कीर्तिमान स्थापित करने का जज्बा पाले ख्याति प्राप्त सैंड आर्टिस्ट रूपेश सिंह ने तकरीबन पांच सौ वर्ष के कालखंड के संघर्ष के उपरांत अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास होने से खुश होकर रेत पर उकेरकर राम मंदिर कीअनुपम आकृति तैयार किया है ।
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भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं
बलिया जिले के राजा का गांव खरौनी के रहने वाले रूपेश सिंह ने आज देश को राम मंदिर की अपनी एक अनुपम कृति भेंट किया । उन्होंने अपने गांव में रेत पर उकेरकर यह अनोखी कलाकृति तैयार किया है । उन्होंने कहा कि भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । उन्होंने तकरीबन पांच सौ वर्ष के कालखंड के संघर्ष के उपरांत अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास होने से खुश होकर रेत पर उकेरकर राम मंदिर की अनुपम आकृति तैयार किया है ।
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इच्छा विश्व रिकार्ड बनाने की
सैंड आर्टिस्ट रूपेश में अंदर का कलाकार जुनून की तरह भरा पड़ा है । उनकी इच्छा विश्व रिकार्ड बनाने की है । इसके लिए उन्होंने अजीब निर्णय कर लिया है । उन्होंने तय किया है कि जब तक वह अपने नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड नही कर लेते तब तक वह अपनी दाढ़ी नही बनायेंगे । दाढ़ी को लेकर उन्हें आये दिन परिजनों के साथ ही पड़ोसियों व सम्पर्क में रहने वालों की झिड़की सुनने को मिलती है । लोग उन पर फब्तियां भी कसते हैं ।
परिवार के लोग फिक्रमंद हैं कि दाढ़ी में रुपेश बाबा की मानिंद हो गए हैं तो फिर उसकी शादी कैसे होगी । हालांकि रूपेश इन फब्तियों के बावजूद अपने जुनून को पूरा करने के प्रति समर्पित हैं । उन्होंने पिछले दिनों रक्षाबंधन पर्व पर अपनी अनोखी कलाकृति के जरिये आम लोगों को वैश्विक महामारी कोविड 19 से सचेत किया था ।
सोनू सूद के जन्मदिन पर बनाई उनकी आकृति
आर्ट अभिनेता सोनू सूद के जन्मदिन पर उन्होंने सूद की आकृति तैयार कर खूब वाहवाही बटोरी । सूद ने ट्वीट कर रूपेश से मिलने का वायदा किया । विश्व रक्तदान दिवस पर रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए एक अनुपम कलाकृति समर्पित किया था । रूपेश ने छठवां विश्व योगा दिवस भी अनूठे अंदाज में मनाया था । रूपेश ने अपने गांव खरौनी में योगा दिवस पर अनोखी कलाकृति को बालू से उकेर कर तैयार किया था ।
बचपन से ही चित्र बनाना रूपेश के जीवनचर्या का हिस्सा रहा
रूपेश का जीवन संघर्ष से भरा पड़ा है । बचपन से ही चित्र बनाना रूपेश के जीवनचर्या का हिस्सा रहा है । वह बचपन से ही गांव में धार्मिक व सामाजिक आयोजन में मूर्ति आदि बना लेते थे, इसके लिये उनके परिजनों ने उनकी पिटाई भी की थी । रूपेश को सैंड आर्ट्स के अपने काम को पूरा करने के लिये स्वयं कोई न कोई काम करना पड़ता है । वह बताते हैं कि तकरीबन छह साल पहले गांव में एक स्थान पर बालू गिरा था । उसके जरिये उन्होंने पहली बार बालू से नारी शोषण पर आकृति उकेरा । इसके बाद वह बनारस में आयोजित एक प्रतियोगिता में शिरकत किये । उनके जेब में तब पैसा नही था । किसी ने सहयोग भी नही किया ।
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बनारस की प्रतियोगिता
बनारस की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये उन्होंने काफी परेशानी झेली । वह बताते हैं कि रविदास घाट पर उन्होंने पतंग की तीलियों को बटोरा । सेब की टोकरी का फट्टा निकाला । पड़ोस के घर से कूड़ा से सामग्री लिया और फिर चारा घोटाले को लेकर चित्र बनाया ।
इस प्रतियोगिता में बड़े घरों से लोग कार से शिरकत करने आये थे, इससे वह हतोत्साहित तो हुए लेकिन प्रतियोगिता में जब उनको अव्वल घोषित किया गया तो उनको काफी बल मिला । वह इसके बाद पीछे मुड़कर नही देखे । काशी विद्यापीठ में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स के द्वितीय सेमेस्टर का छात्र रूपेश अपने किसान पिता त्रिभुवन सिंह के तीन पुत्र व एक पुत्री में सबसे छोटे हैं।
रिपोर्टर- अनूप कुमार हेमकर, बलिया
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