आसिफ अली
शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में गन्ना शोध संस्थान में 19 वैज्ञानिकों की भर्ती घोटाले का पूरा खुलासा हो गया है। जांच में वैज्ञानिकों की भर्ती को पूरी तरह से अवैध बताया गया है और शोध संस्थान के तत्कालीन निदेशक को भर्ती घोटाले में दोषी पाया है। खुलासे के बाद गन्ना शोध संस्थान में हडक़ंप मचा हुआ है। सपा शासन में हुई वैज्ञानिकों की अवैध भर्ती के मामले में जल्द ही शासन से बड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
गन्ना शोध संस्थान में 2015 में हुई 19 वैज्ञानिकों की भर्ती के घोटाले के खुलासे का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है। नियम और कायदों को ताक पर रखकर गन्ना शोध संस्थान के निदेशक बीएल शर्मा और सपा सरकार में तत्कालीन गन्ना उपाध्यक्ष रामकृष्णा यादव ने 19 वैज्ञानिकों की अवैध भर्ती कर डाली। वैज्ञानिकों की भर्ती में लाखों की रिश्वत लेने का भी आरोप है। दरअसल नवम्बर 2015 में हुई इन 19 भर्तियों में पैसा न देने वाले योग्य वैज्ञानिकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
मनमाने तरीके से हुई भर्ती
पादप रोग वैज्ञानिकों के लिए तीन लोगों की भर्ती में 29 आवेदन आए जिसमें से सिर्फ पहले से तय तीन लोगों के आवेदनों को ही पास किया गया और उनकी आसानी से भर्ती कर ली गई। दैहिकी वैज्ञानिकों के लिए दो लोगों की भर्ती के लिए 21 आवेदन आए जिनमें से तयशुदा दो लोगों की पास करके उनकी भर्ती कर ली गई। वैज्ञानिक कीट के एक पद के लिए 13 आवेदनों में 12 को बाहर कर दिया गया और तयशुदा एक वैज्ञानिक को भर्ती कर लिया गया। इसी तरह हर कैटेगिरी की भर्ती के लिए दो-दो एक्सपर्ट को साक्षात्कार में बैठना था, लेकिन गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर ने सिर्फ दो ही एक्सपर्ट को बुलाकर सभी वर्गों का इंटरव्यू करवा दिया। वहीं स्क्रिनिंग कमेटी में जिन वैज्ञानिकों को 30 नंबर मिले उन्हें बाहर कर 10 नंबर वाले वैज्ञानिक की भर्ती कर ली गई।
जांच में पूर्व निदेशक दोषी
शासन की जांच के बाद गन्ना शोध संस्थान के पूर्व निदेशक को प्रथम दृष्टया दोषी करार दिया गया है। अब फर्जी और अवैध ढंग से की गई 19 वैज्ञानिकों की भर्ती के मामले में स्थानीय विधायक और शिकायतकर्ता कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पूरे भर्ती घोटाले में संस्थान के डायरेक्ट बीएल शर्मा और उप्र गन्ना परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रामकृष्ण यादव का नाम निकलकर सामने आ रहा है। इस मामले में जब पूर्व डायरेक्टर बीएल शर्मा से बात करने की कोशिश की गई तो वो इस मामले में बचते हुए नजर आए। भर्ती में लाखों की रिश्वत लिए जाने के भी आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि इसी तरह ओवरएज वैज्ञानिकों की भी भर्ती कर ली गई जबकि विज्ञापन में उम्र तय थी।
अब कड़ी कार्रवाई की तैयारी
जांच में पूरी भर्ती प्रक्रिया को भी अवैध माना गया है। ऐसे में वर्तमान गन्ना शोध परिषद के निदेशक डा.ज्योत्सनेन्द्र सिंह का कहना है कि इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किए जा रहे हैं और मामले में शासन स्तर से कड़ी कार्रवाई किए जाने की तैयारी है। जांच में भले ही 19 वैज्ञानिकों की भर्ती को अवैध माना गया है मगर बड़ा सवाल यही है कि आखिर भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद इन्हें इनके पद से क्यों नही हटाया जा रहा है क्योंकि ये वैज्ञानिक हर महीने लाखों का वेतन ले रहे हैं। गन्ना शोध संस्थान में भर्ती घोटाले के खुलासे के बाद यहां हडक़ंप मचा हुआ है। सूत्रों की मानें तो मामले में एफआईआर दर्ज कराने की भी तैयारी चल रही है।