क्यों घातक हुई कोरोना की दूसरी लहर, BHU के वैज्ञानिक ने बताई वजह

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के घातक होने की वजह हर्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी का जल्दी खत्म होना है।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-05-15 18:24 IST

बीएचयू (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वाराणसी: कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) की दस्तक होने के बाद संक्रमण की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है। महामारी की दूसरी लहर को लेकर स्टडी और रिसर्च भी जारी है। इस बीच वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के जंतु विज्ञान के जीन वैज्ञानिकों ने कोरोना की दूसरी लहर के घातक होने की वजह भी खोज ली है।

BHU के वैज्ञानिकों ने यह पता लगा लिया है कि आखिर कोरोना वायरस की दूसरी लहर इतनी भयानक कैसे साबित हुई? वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी वजह हर्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी का जल्दी खत्म होना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा कहा जा रहा था कि एंटीबॉडी 6 महीनों तक बरकरार रहेगी, लेकिन यह सिर्फ तीन महीने में ही खत्म हो गई। ऐसे में कोरोना के खिलाफ शरीर में बने हर्ड इम्यूनिटी या एंटीबॉडी के विकसित होने के बाद भी दूसरी लहर काफी ज्यादा खतरनाक साबित हुई।

जांच कराता हुआ युवक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

स्ट्रीट वेंडर्स पर किया गया अध्ययन

स्टडी करने वाले BHU के जंतु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि वाराणसी समेत कुल 14 जिलों में बीते साल सितंबर से लेकर अक्टूबर तक एंटीबॉडी टेस्ट किया गया था। यह एंटीबॉडी टेस्ट स्ट्रीट वेंडर्स (Street Vendors) का किया गया था, ताकि यह पता चल सके कि ज्यादा एक्सपोज्ड लोगों में किस स्तर की इम्यूनिटी बनी है। उन्होंने बताया कि करीब 25 से 30 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली। वाराणसी या पूर्वांचल में करीबी 40% लोगों में इम्यूनिटी बन चुकी थी।

प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि दुनिया में कई ऐसे रिसर्च किए गए, जिसमें यह सामने आया कि कोरोना के खिलाफ शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी करीब छह महीने तक के लिए रहती है। ICMR ने भी ऐसा ही अध्ययन किया था। इस आधार पर माना गया कि लोगों के शरीर में छह महीने तक एंटीबॉडी बनी रहेगी और तब तक कोरोना की दूसरी लहर नहीं आएगी। साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों की टीकाकरण भी हो चुका होगा, लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत हुआ।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

चौंकाने वाले नतीजे आए सामने

उन्होंने बताया कि वाराणसी में फील्ड में जाकर ऐसे 100 लोगों का फिर से अध्ययन किया गया, जिनकी एंटीबॉडी कोरोना के खिलाफ विकसित हो चुकी थी। जिसके नतीजे चौंकाने वाले थे। नतीजों में सामने आया कि जिन 100 लोगों में एंटीबॉडी बन चुकी थी, उनमें से केवल 7 लोगों में ही एंटीबॉडी बची थी यानी 93 लोगों में एंटीबॉडी खत्म हो चुकी थी।

जिसके बाद यह पता चला कि देश में लोगों के अंदर विकसित हुई इम्यूनिटी वॉल ध्वस्त हो चुकी है। इसलिए पिछली बार जो 60-70 फीसदी कोरोना से संक्रमित नहीं हुए थे वे भी इस बार संक्रमण की चपेट में आए और इसी वजह से कोरोना और घातक हो गया। उन्होंने कहा कि अगर हम वैक्सीनेशन की स्पीड बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन कर दें तो तीसरी लहर को काफी हद तक कम कर सकते हैं। साथ ही तब तक हमें कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी करना होगा।

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