लखनऊ में उड़ीसा: नवाबों के शहर में बिखरे यहां के रंग, दिखी खूबसूरत संस्कृति
शहर का गोमती नगर फ्लाईओवर हो या एचएएल की किलोमीटर लंबी दीवार सभी को ऐसी मनमोहक चित्रों से सजाया जा रहा है कि देखते ही खुशी से चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कभी अपनी रंगीन शामों के लिए मशहूर यूपी की राजधानी लखनऊ के समय के साथ बिखरे रंगों को एक बार फिर समेटा जा रहा है। इनसे लखनऊ की दीवारों पर उकेरी जा रही मनमोहक पेंटिग्स और दिलकश चित्र। अब यहां जगह-जगह मुस्कराइयें की आप लखनऊ में है जैसे स्लोगन लिखे बोर्ड लगाने की जरूरत नहीं है।
शहर का गोमती नगर फ्लाईओवर हो या एचएएल की किलोमीटर लंबी दीवार सभी को ऐसी मनमोहक चित्रों से सजाया जा रहा है कि देखते ही खुशी से चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है। लेकिन लखनऊ का यह साज श्रंगार करने वाले कलाकार लखनऊ के तो नहीं है लेकिन उसे संवार रहे है। उडीसा के भुवनेश्वर से आया यह छह सदस्यीय दल उडीसा की पटचित्र कला को राजधानी लखनऊ में उकेर रहा है।
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उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर की 1200 साल पुरानी इस पटचित्र कला को करने वाले नयन मलिक बताते है
उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर की 1200 साल पुरानी इस पटचित्र कला को करने वाले नयन मलिक बताते है कि कला की इस शैली की शुरूआत पुरी के जगन्नाथ मंदिर से ही हुई है। वह और उनकी टीम इस समय गोमती नगर में एचएएल की दीवार पर अपनी कला का हुनर दिखा रहे है। नयन बताते है कि इससे पहले वह और उनकी टीम कुंभ में प्रयागराज की दीवारों को भी अपनी कलाकारी से सजा चुके है। उनकी इस चित्रकारी को बहुत ही सराहा गया। जिसके बाद उनको राजधानी लखनऊ को सजाने की जिम्मेदारी दी गई। उनके मुताबिक एलएएल की दीवार पर उनकी टीम द्वारा बनाई जा रहे पटचित्र शैली की पेंटिग दुनिया की सबसे लंबी पेंटिग है।
सदस्य धमेंद्र बताते है कि यूपी में वह एचएसडब्ल्यू कंसलटेंट के लिए काम कर रहे है
उनकी टीम के एक अन्य सदस्य धमेंद्र बताते है कि यूपी में वह एचएसडब्ल्यू कंसलटेंट के लिए काम कर रहे है। उनकी कंपनी को यूपी के सांस्कृतिक विभाग द्वारा यह प्रोजेक्ट दिया गया है। वह बताते है कि यहां तो यह पटचित्र केमिकल पेंट से किया जा रहा है लेकिन मूलतः इसे प्राकृतिक रंगों से किया जाता है और इसके लिए कैनवास भी प्राकृतिक तौर पर तैयार किया जाता है। कैनवास तैयार करने के लिए इमली के बीज और शंख को भिगों कर पीसा जाता है और रंगों के लिए प्राकृतिक चीजों जैसे हरे रंगे के लिए पत्तियों का, सफेद रंगे के लिए सीप का और भूरे रंग के लिए मिट्टी आदि का उपयोग किया जाता है।
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वह बताते है कि इसमे एक थीम लेकर उसी थीम के आधार पर चित्रों की एक श्रंखला बनायी जाती है। एचएएल की दीवार पर वह होली उत्सव की थीम पर चित्र बना रहे है। वह बताते है कि यहां कि बाद उनकी टीम को हुसड़िया चैराहे पर चित्र बनाने है, जिसमे गोंद आर्ट का प्रयोग किया जायेगा। अपने ग्रुप के बारे में वह बताते है कि उनका ग्रुप पुरी जिलें के रघुराजपुरी से आया है, जिसे क्राफ्ट विलेज भी कहा जाता है।
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