Digital Rape: दुकानदार ने मासूम बच्ची से किया डिजिटल रेप, आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस

Digital Rape in Ghaziabad: गाजियाबाद जनपद में 12 वर्षीय छात्रा के साथ डिजिटल रेप करने का मामला सामने आया है।

Report :  Jugul Kishor
Update:2023-01-02 10:13 IST

Rape in Hathras (Pic: Social Media)

Digital Rape in Ghaziabad: गाजियाबाद जनपद में 12 वर्षीय छात्रा के साथ डिजिटल रेप करने का मामला सामने आया है। बता दें कि रविवार शाम 1 जनवरी 2023 एक बच्ची दुकानदार से सामान लेने आई थी। आरोप है कि सामान लेने आई बच्ची के प्राइवेट पार्ट के साथ दुकानदार ने छेड़छाड़ की। बच्ची जब घऱ पहुंची तो उसने परिजनों को आपबीती सुनाई। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी है।

मिली जानकारी के मुताबिक के मोदीनगर के गोविंदपुरी इलाके की कॉलोनी में एक परिवार रहता है। उनकी 12 साल की बिटिया जो कक्षा पांच में पढ़ती है। रविवार शाम के करीब 5 बजे के आसपास उनकी बेटी दुकानदार से सामान लेने गई थी। आरोप है कि दुकानदार ने सामान देने के बहाने बच्ची को दुकान के अंदर बुला लिया। अंदर बुलाकर दुकानदार बच्ची के आंतरिक अंगो के साथ में छेड़छाड़ करने लगा। बच्ची ने जब विरोध किया तो दुकानदार ने बच्ची के साथ मारपीट की। बच्ची किसी तरह से दुकानदार के चंगुल से निकलकर अपने घऱ पहुंची।  

परिजनों ने आरोपी के खिलाफ दर्ज करवाई शिकायत 

बच्ची की आपबीती सुनकर परिजन परेशान हो गए और बच्ची को लेकर गोविंदपुर पुलिस चौकी पहुंचे। आरोपी दुकानदार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करके आरोपी की तलाश शुरु कर दी है।   

क्या होता है डिजिटल रेप

जब पहली बार इस नाम को सुनते हैं तो दिमाग में आता है कि ये जरूर कुछ टेक्निकल होगा या वर्चुअली किया गया सेक्सुअल असॉल्ट होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। डिजिटल रेप वह अपराध है अगर कोई शख्स महिला की बिना सहमति के उसके प्राइवेट पार्ट्स को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है तो यह डिजिटल रेप कहलाता है। डिजिटल रेप में डिजिट शब्द का अर्थ इंग्लिश के फिंगर, थंब या पैर के अंगूठे से है। साल 2012 से पहले इस टर्म को कोई नहीं जानता था। आज जिस अपराध को डिजिटल रेप का नाम दिया गया है उसे 2012 के पहले छेड़खानी का नाम दिया गया था। लेकिन, निर्भया केस के बाद रेप लॉ को पेश किया गया और हाथ उंगली या अंगूठे से जबरदस्ती छेड़छाड़ को यौन अपराध मानते हुए सेक्शन 375 और पॉक्सो एक्ट की श्रेणी में रखा गया।  भारत में साल 2013 में इसके लिए कानून बना है।   

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