Sonbhadra: बाइक चोरी की क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने किया खारिज, जिला अस्पताल से गायब हुई थी बाइक

Sonbhadra News: वाहन स्वामी का कहना था कि मामले में अगर पुलिस सक्रियता दिखाई होती तो सीसीटीवी फुटेज के जरिए जरूर सुराग मिला होता और सफलता भी मिल गई होती लेकिन पुलिस ने इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया।

Update:2023-08-21 19:35 IST
पति की हत्या में शामिल पत्नी समेत तीन को आजीवन कारावास: Photo- Social Media

Sonbhadra News: करीब तीन वर्ष पूर्व जिला अस्पताल परिसर से चोरी हुई मोटरसाइकिल के मामले में पुलिस की तरफ से दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले की सोमवार को सीजेएम अचल प्रताप सिंह की अदालत ने सुनवाई की । इस दौरान पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस की तरफ से दाखिल की गई अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर दिया गया। साथ ही, राबर्ट्सगंज कोतवाल को अग्रिम विवेचना करने का आदेश पारित कर दिया गया।

वाहन स्वामी ने दी थी पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती

मांची थाना क्षेत्र के चिचलिक गांव निवासी सुकालु ने अधिवक्ता राजेश कुमार पाठक के जरिए पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी। प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दाखिल कर कोर्ट को अवगत कराया था कि उसकी मोटरसाइकिल यूपी 64ए के/2561 रात में जिला अस्पताल लोढ़ी परिसर में सीसीटीवी कैमरा के सामने खड़ी थी, जो गायब हो गई। बताया कि वह 10 सितंबर 2020 की शाम को अपने भतीजे देवेंद्र को घायलावस्था में दवा-इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया था। रात में परिसर में बाइक खड़ी कर भतीजे का उपचार कराने में लगा हुआ था। सुबह अस्पताल से बाहर आया तो देखा कि परिसर में खड़ी उसकी बाइक गायब थी।

पुलिस पर मामले में उदासीनता का लगाया गया आरोप

वाहन स्वामी का कहना था कि मामले में अगर पुलिस सक्रियता दिखाई होती तो सीसीटीवी फुटेज के जरिए जरूर सुराग मिला होता और सफलता भी मिल गई होती लेकिन पुलिस ने इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। 11 सितंबर 2020 को राबर्ट्सगंज कोतवाली में लिखित सूचना दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 14 सितंबर को एसपी से मामले की शिकायत की तब लगभग एक माह बाद जाकर चोरी की रिपोर्ट दर्ज की गई।

मामले के लिए नियुक्त हुए तीन विवेचक, किसी ने नहीं दिखाई संजीदगी

कोर्ट में दखिल प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि मामले की दर्ज एफआईआर की जांच एसआई सुनील कुमार दीक्षित को दी गई। आरोप है कि पीड़ित जब उनसे जाकर मिला तो खर्च की मांग शुरू कर दी गई। एसआई काशी सिंह कुशवाहा, एसआई हरिशंकर सिंह यादव भी जांच अधिकारी नियुक्त हुए लेकिन किसी ने भी वाहन स्वामी का बयान नहीं लिया। महज कागजी खानापूर्ति करते, हुए कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई। पीड़ित की तरफ से अदालत को यह भी बताया गया कि उसने लोन पर बाइक ली थी, जिसके लिए उसे हर माह किश्त अदा करना पड रहा था। बाइक चोरी होने के बाद उस पर दोहरा दबाव आ गया है। किस्त जमा करने के लिए संबंधित की तरफ से बार-बार दबाव बनाया जा रहा है।

अदालत ने माना मामला गंभीर, अग्रिम विवेचना का दिया आदेश

वादी पक्ष की तरफ से पेश किए गए साक्ष्य और दी गई दलीलों को दृष्टिगत रखते हुए अदालत ने इसे मामले मामला माना और अंतिम रिपोर्ट 30 जनवरी 2021 को निरस्त कर राबर्ट्सगंज कोतवाल को अग्रिम विवेचना कराए जाने का आदेश पारित किया। मुकदमा वादी को मामले की आवश्यक पैरवी अविलंब करने का आदेश दिया गया है।

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