Sonbhadra: जिला कार्यक्रम अधिकारी निलंबित, अधीनस्थों से उगाही, महिला कर्मियों के उत्पीड़न का आरोप

Sonbhadra News: निलंबन आदेश में कहा गया है कि यह कृत्य उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 1956 के नियम 3(1) व 3(2) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा-7 का उल्लंघन है जिसके लिए उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।

Update: 2024-06-21 12:05 GMT

Sonbhadra News (Pic:Newstrack)

Sonbhadra News: बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह को शासन स्तर से निलंबित कर दिया गया है। उनके उपर अधीनस्थों से धन उनाही करने, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने, अधीनस्थ महिला कर्मचारियों का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने, अनुशासनहीनता, कार्यों के प्रति उदासीनता, शासन की मंशा के अनुरूप कार्य न करने, विभागीय योजनाओं के संचालन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। शासन स्तर से हुई कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। शुक्रवार की शाम जिले में निलंबन की जानकारी सार्वजनिक हुई तो तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई। प्रकरण की जांच अपर निदेशक (वित्त) बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार लखनऊ को सौंपी गई है। जांच अवधि तक राजीव सिंह मंडलायुक्त कार्यालय मिर्जापुर से संबद्ध रहेंगे। मसले को लेकर फोन के जरिए डीपीओ का पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए।

फतेहपुर में तैनाती के समय से ही चल रही थी जांच

जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव के खिलाफ फतेहपुर में तैनाती के समय से ही जांच चल रही थी। दोनों जिलों से मिली शिकायतों का हवाला देते हुए संयुक्त सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग अशोक कुमार तिवारी की तरफ से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि राजीव सिंह द्वारा अन्य विभागों से किसी भी प्रकार का समन्वय स्थापित नहीं किया जाता, इससे केवल बाल विकास ही नहीं, अन्य विभागों, खासकर स्वास्थ्य महकमे की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों, उच्चाधिकारियों द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर मनमाने ढंग से कार्य करने का भी आरोप लगाया गया है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पाया गया प्रथमदृष्ट्या दोषी

निलंबन आदेश में कहा गया है कि यह कृत्य उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 1956 के नियम 3(1) व 3(2) एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा-7 का उल्लंघन है जिसके लिए उन्हें प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। इसके लिए उन्हें निलंबित किया जा रहा है। निलंबन आदेश के लिए राज्यपाल से सहमति मिलने का भी हवाला दिया गया है। बताया गया है कि निलंबन अवधि के दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। निलंबन अवधि में डीपीओ राजीव सिंह कार्यालय आयुक्त विंध्याचल मंडल मीरजापुर से संबद्ध रहेंगे। वहीं जांच अधिकारी को हिदायत दी गई है कि वह आरोपों की जांच कर ससमय आख्या दें। आख्या प्रेषित करते समय यह ध्यान रखा जाए कि संबंधित अधिकारी का स्पष्टीकरण और आरोप से संबंधित साक्ष्य मूलरूप से हों और उसे उसी शासन को मूलरूप में ही प्रेषित किया जाए।

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