Sonbhadra News: 45 साल में तीन बार कनहर सिंचाई परियोजना का शिलान्यास, कागजों पर ही हो गए करोड़ों खर्च

Sonbhadra News: अब जाकर 45 साल बाद कनहर परियोजना के मुख्य हिस्से कनहर बांध का निर्माण पूरा हो गया है। इसी के साथ डूब क्षेत्र में पीढ़ियों से डेरा जमाए परिवारों के उजड़ने का सिलसिला भी तेज हो गया है।

Update:2023-06-15 10:11 IST
Sonbhadra News (photo: social media )

Sonbhadra News: कनहर परियोजना यूपी की एक ऐसी अनोखी परियोजना है, जिसका 45 साल के सफर में तीन बार शिलान्यास हुआ। कभी धरातल पर तो कभी कागज पर निर्माण को गति देने का सिलसिला भी बना रहा। वहीं परियोजना की लागत भी 27.25 करोड़ से बढ़कर 3500 करोड़ पहुंच गई। अब जाकर 45 साल बाद कनहर परियोजना के मुख्य हिस्से कनहर बांध का निर्माण पूरा हो गया है। इसी के साथ डूब क्षेत्र में पीढ़ियों से डेरा जमाए परिवारों के उजड़ने का सिलसिला भी तेज हो गया है। बावजूद विस्थापितों से जुड़े अनसुलझे मसले का हल, अब तक नहीं निकल पाया है।

चलता रहा शिलान्यास दर शिलान्यास का खेल,और बढ़ती रही लागत

वर्ष 1976 में केंद्रीय जल आयोग ने परियोजना निर्माण की अनुमति दी। इसके बाद कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने परियोजना का शिलान्यास किया। शुरूआती लागत 27.25 करोड़ निर्धारित की गई। 1979 में तकनीकी अनुमति के वक्त लागत बढ़कर 55 करोड़ हो गई। महज दो वर्ष बाद ही परियोजना की लागत 69 करोड़ हो गई। उस समय का जो आंकलन था, उसमें एक लाख पेड़, 2500 कच्चे, 200 पक्के मकान, 500 कुएं, 30 स्कूल एवं अन्य निर्माण बांध की भेंट चढ़ने थे। वर्ष 1984 में अचानक से काम थम गया।

तत्कालीन हुक्मरानों को बांध की बजाय, एशियाई खेल की सता रही थी चिंता

विस्थापितों की तरफ से उठाए जाने वाले सवालों-आरोपों और चर्चाओं पर गौर करें तो वर्ष 1984 में काम इसलिए थम गया। क्योंकि कनहर परियोजना के लिए सुरक्षित रकम, दिल्ली में होने वाले एशियाई खेलों के लिए स्थानांतरित कर दी गई। 1989 में दोबारा काम शुरू हुआ और 16 परिवार उजाड़ भी दिए गए लेकिन इसके बाद से 2014 तक की जो की हकीकत थी, उसमें जहां ज्यादातर समय करोड़ों की मशीनें धूल फांकती रही। वहीं सरकारी दस्तावेजों में बीच-बीच में निर्माण पर खर्च और लागत बढ़ने का सिलसिला जारी रहा।

2011 में मायावती, 2012 में शिवपाल ने किया परियोजना का शिलान्यास

वर्ष 2011 में एक बार फिर से परियोजना के निर्माण में नए सिरे से तेजी लाने की पहल हुई। 15 जनवरी 2011 को तत्कालीन सीएम मायावती ने परियोजना का शिलान्यास भी किया लेकिन काम आगे बढ़ नहीं सका। 2012 में सपा की सरकार आई तो सात नवंबर 2012 को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री शिवपाल यादव ने परियोजना का शिलान्यास किया। 2014 में बांध के मुख्य हिस्से स्पिलवे के निर्माण का शुभारंभ किया गया। उसके बाद से निर्माण ने तेजी तो पकड़ ली लेकिन विस्थापन लाभ से वंचित, खासकर महिला मुखिया वाले परिवार, जिन्हें, जैसा कि आरोप है कि सिर्फ महिला मुखिया या महिला वारिस होने के नाते मुआवजे से वंचित कर दिया गया है, को लेकर कोई हल अब तक नहीं निकल पाया है।

सरकार लेगी विस्थापितों की सुध या टूट जाएगी उम्मीद?

एक तरफ जहां शिलान्यास दर शिलान्यास का सिलसिला जारी रहेगा। वहीं वर्ष 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद, विस्थापन और निर्माण दोनों ने गति पकड़ी। जून 2023 आते-आते परियोजना के मुख्य हिस्से कनहर बांध का निर्माण भी पूरा कर लिया गया लेकिन 1982 और 2014 के मुआवजा सूची से वंचित परिवारों की सुध भी ली जाएगी या बारिश की बूंदों के साथ ही, उनकी उम्मीदें भी कनहर बांध में तिरोहित हो जाएंगी? यह एक बड़ा सवाल बन गया है।

सोनभद्र आ रहे सीएम से विस्थापितों को उम्मीदें, वहीं कृषि मंत्री ने नो कमेंट कह किया किनारा

सोनभद्र में 16 जून को 400 करोड़ की सौगात देने पहुंच रहे सीएम योगी आदित्यनाथ से कनहर के विस्थापितों को बड़ी उम्मीद है। हालांकि भाजपा जिला कार्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उनके कार्यक्रम की जानकारी दे रहे कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही से विस्थापितों के दर्द को लेकर, सरकारी पहल के बारे में जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने नो कमेंट.. कहकर किनारा कर लिया।

Tags:    

Similar News