Sonbhadra: BJP गठबंधन की राह में चुनौती बने अपनों के बिछाए कांटे, मान-मनौव्वल के बावजूद बनी हुई है टेंशन

Sonbhadra: चोपन में अमित शाह की सभा के दौरान जहां वैदिक मंत्रों के उच्चारण और तिलक तथा जनेऊ की महत्ता बताकर अगड़ा समाज समाज की नाराजगी को कम करने की कोशिश की गई।

Update: 2024-05-30 04:02 GMT

जनसभा संबोधित करते अमित शाह (Pic: Social Media)

Sonbhadra: लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण के लिए होने वाले मतदान को लेकर जहां उल्टी गिनती शुरू हो गई है । वहीं, भाजपा गठबंधन की राह में, अपनों की ओर से बिछाए गए कांटे ही बड़ी चुनौती बने हुए हैं। अंदर खाने एक दूसरे के बीच अंतर्विरोध की स्थिति के साथ ही, सांसद की ओर से अगड़ा समाज को लेकर की गई गलत बयानी जहां अभी भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। वही चोपन में अमित शाह की सभा के दौरान अगड़े समाज से आने वाली एक भाजपा नेत्री सहित तीन के खिलाफ जिस तरह से उपेक्षा भरा रवैया अपनाया गया, उसने एक बार फिर से समाज के खिलाफ हो रही बयान बाजी से जुड़े मुद्दों को हवा देकर पार्टी के रणनीतिकारों का टेंशन बढ़ा दिया है।

अमित शाह की सभा ने दी संजीवनी

चोपन में अमित शाह की सभा के दौरान जहां वैदिक मंत्रों के उच्चारण और तिलक तथा जनेऊ की महत्ता बताकर अगड़ा समाज समाज की नाराजगी को कम करने की कोशिश की गई और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की और से सोनभद्र के स्थानीय मुद्दों को गहराई से टटोला गया उसने सत्ता पक्ष के लिए जहां संजीवनी का काम किया। कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर एक नया जोश पैदा किया। वहीं, चर्चा है कि मंच पर मौजूदगी को लेकर पार्टी के ही एक प्राधिकारी ने जिस तरह से लोगों को उपेक्षित करने की रणनीति अपनी उसने एक बार फिर से अगड़ा समाज की कथित उपेक्षा के मुद्दे को हवा दे दी।


कब तक चलेगा मोदी-योगी मैजिक?

हालांकि पार्टी के एक पदाधिकारी और दो महिला जनप्रतिनिधियों को मंच से बाहर करने की चर्चा गरमाने के बाद, उपेक्षित बताए जा रहे खेमे की ओर से देर रात कार्यक्रम की सफलता और पार्टी के प्रति निष्ठा को लेकर तस्वीरें तथा वीडियो वायरल कराकर, डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई। संसद की ओर से भी गलत बयानी को लेकर माफी और खेद जताने का वीडियो तेजी से वायरल किया जाता रहा। नाराजगी को मैनेज करने की हो रही यह कोशिश 48 घंटे के भीतर कितना रंग ला पाएगी यह तो चुनाव परिणाम बताएगा? लेकिन जिस तरह से चुनाव के आखिरी क्षणों में सत्ता पक्ष के लिए, उसके अपनों की ओर से ही कांटे बिछाए जा रहे हैं और जिस तरह से नाराजगी देखने को मिल रही है, उस स्थिति में ऐन वक्त पर बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिले तो बड़ी बात नहीं होगी।


जातीय समीकरण, जिन पर टीका जीत का दारोमदार 

रॉबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में कुल 17,54,175 मतदाता हैं। इसमें अनुसूचित जाति की संख्या लगभग 28 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की संख्या 20 प्रतिशत, ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 10 प्रतिशत, वैश्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या 8 प्रतिशत, पटेल मतदाताओं की संख्या 5 प्रतिशत, कुशवाहा समाज के मतदाताओं की संख्या 6 प्रतिशत, क्षत्रिय समाज के मतदाताओं की संख्या तीन प्रतिशत, यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या तीन से चार प्रतिशत बताई जा रही है। अन्य मतदाताओं की संख्या लगभग 16 से 17 प्रतिशत होने का दावा किया जा रहा है।

Tags:    

Similar News