Sonbhadra News: मजदूर की बेटी से घर में घुसकर किया था दुष्कर्म, मिली 20 वर्ष की कैद, भुगतना होगा 1.05 लाख अर्थदंड

Sonbhadra News: घटना 4 जून 2018 के रात की है। मासूम टीन शेड के कमरे में सोई थी, आरोपी कमरे में लगे टीन का दरवाजा हटा कर अंदर घुस गया और उसके साथ जबरदस्ती बलात्कार किया।

Update:2024-10-21 18:17 IST

दुष्कर्म के आरोपी को हुई 20 वर्ष की कैद: Photo- Newstrack

Sonbhadra News: सोनभद्र जनपद के ओबरा थाना क्षेत्र के एक क्रशर प्लांट पर काम करने वाले मजदूर के अस्थायी आशियाने में घुसकर 11 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के मामले में दोषी को 20 वर्ष कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। साढ़े छह वर्ष पुराने इस मामले की सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान पत्रावली में उपलब्ध कराए गए साक्ष्य, अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों, गवाहों के बयान को दृष्टिगत रखते हुए पाक्सो एक्ट, दुष्कर्म और घर में घुसकर वारदात का मामला सिद्ध पाया गया।

दलीलों-साक्ष्यों के आधार पर पाया गया दोषी

इसके आधार पर दोषी महेश गोंड़ को 20 वर्ष की कठोर कैद तथा एक लाख पांच हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। आदेश पारित किया गया कि अगर दोषी अर्थदंड अदा नहीं करता है तो उसे एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। अर्थदंड की धनराशि जमा हाने के बाद उसमें से 80 हजार पीड़िता को प्रदान किए जाएंगे।

यह था मामला, जिसको लेकर सुनाई गई सजा

अभियोजन कथानक के मुताबिक अभियोजन कथानक के मुताबिक ओबरा थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने 5 जून 2018 को ओबरा थाने पहुंचकर एक तहरीर सौंपी। इसके जरिया उसने अवगत कराया कि वह इलाके के एक क्रशर प्लांट पर काम करता है। वहीं पर बने टीन शेड के कमरे में परिवार के साथ रहता भी है। घटना 4 जून 2018 के रात की है। उसकी 11 वर्षीय पुत्री टीन शेड के कमरे में सोई थी। रात 9 बजे के करीब वहां महेश गोंड़ पुत्र अजमेर गोंड़ निवासी मेड़रदह, थाना अनपरा, हाल पता बिल्ली मारकुंडी,थाना ओबरा, पहुंचा। उसके कमरे में लगे टीन का दरवाजा हटा कर अंदर घुस गया और उसकी उसकी पुत्री के साथ जबरदस्ती बलात्कार किया। पुत्री के रोने की आवाज सुन कर वह मौके पर पहुंचा तो महेश वहां से भाग निकला।

सुनवाई के दौरान पीड़िता का कथन बना बड़ा आधार

दिए गए तहरीर के आधार पर धारा 376, 452 आईपीसी और धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की गई और पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए न्यायालय में चार्ज शीट दाखिल की गई। मामले की सुनवाई कर रही न्यायालय ने पाया कि बयान अंतर्गत धारा 161 व 164 सीआरपीसी में पीड़िता की तरफ से कहा गया है कि आरोपी ने उसके साथ गलत काम किया। अन्य साक्ष्य और गवाहों के बयान आरोप की पुष्टि करते हुए पाए गए। इसको दृष्टिकोण रखते हुए न्यायालय ने 20 वर्ष की कठोर कैद और एक लाख पांच हजार अर्थदंड का फैसला सुनाया। अभियोजन की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने मामले की पैरवी की।

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