Sonbhadra News : सोनभद्र बनेगा मशरूम बिक्री का बड़ा केंद्र, प्रशिक्षण क्रे लिए जिले का पहला मशरूम यूनिट चेंबर तैयार
Sonbhadra News: मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, इस पहल से स्वयंसेवी समूह की महिलाओं के साथ ही, ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने का निर्देश दिया
Sonbhadra News: सोनभद्र को मशरूम की खेती और इसके बिक्री का बड़ा केंद्र बनाने की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए जहां किसानों और स्वयंसेवी महिलाओं को प्रशिक्षण देने और इसकी खती के लिए लागत का 40 से 50 प्रतिशत तक अनुदान पर उपलब्ध कराने को लेकर प्लान बनाने के साथ ही, डीएमएफ कोटे से, जिले का पहला मशरूम यूनिट चेंबर तैयार कर कवायद आग बढ़ा दी गई है। इसको लेकर उद्यान परिसर में स्थापित मशरूम उत्पादन केंद्र का बृहस्पतिवार को डीएम चंद्रविजय सिंह ने निरीक्षण किया और उत्पादन की बेहतरी के लिए पाली हाउस तकनीक अपनाने पर जोर देने के साथ ही, मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, इस पहल से स्वयंसेवी समूह की महिलाओं के साथ ही, ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने का निर्देश दिया। साथ ही इस बात की हिदायत दी कि मशरूम को प्राथमिक-उच्च प्राथमिक विद्यालय के मिड-डे-मील के साथ ही, औद्योगिक परियोजनाआंें में संचालित मेसों में उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाए।
राजकीय पौधशाला लोढी परिसर में जिला खनिज निधि से निर्मित मशरूम उत्पादन इकाई और राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत एक हजार वर्गमीटर में बने पॉली हाउस के निरीक्षण के दौरान जिला उद्यान अधिकारी ने डीएम को बताया कि मशरूम इकाई में मशरूम उत्पादन के लिए कम्पोस्ट बैग तैयार कर लिए गए हैं और उत्पादन का कार्य शुरू हो गया है। डीएम ने कहा कि यह जिले का पहला मशरूम यूनिट चौम्बर है, जो जिले के कृषकों को प्रशिक्षण के लिए एक डेमों के रूप में तैयार किया गया है.। आम जनता यहां तैयार मशरूम को आसानी से क्रय कर सकती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है मशरूम
बताया गया कि प्रति बैग लगभग 2 किलो मशरूम तैयार होता है। उत्पादन केंद्र पर फिलहाल 1600 बैग तैयार किए गए हैं, जिससे लगभग 32 कुंतल मशरूम उत्पादित होगा। बाजार मूल्य सामान्यतः 125 से 150 प्रति किलो होने का अनुमान है। बताया गया कि मशरूम में उच्च क्वालिटी के एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, और फाइबर होता है और यह पोषक तत्व कोशिका और ऊत्तक क्षति को रोकते हैं तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते है।
स्वयं सहायता समूह की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को दें प्रशिक्षण
डीएम ने निर्देशित किया कि अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाए, जो स्वयं सहायता समूह की महिलाए प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है उन्हें इस मुहिम में शामिल करते हुए उत्पादन बढाया जाए। कहा कि मशरूम में प्रोटीन की मात्रा अत्यधिक होती है। इसलिए उसे मिड डे मील में स्कूलों के माध्यम से बच्चों को उपलब्ध कराया जाए। मशरूम को अस्पतालों के मरीजों के भी भोजन में शामिल करने पर बल देते हुए कहा कि मशरूम एनीमिया और कुपोषण दोनों से लड़ने में सहायक है।
महिलाओं के रोजगार के साथ, बेहतर आय का बनेगा जरिया
डीएम के मुताबिक मशरूम की जिले के औद्योगिक इकाईयों के मेसों में भी बिक्री कराई जाएगी। उससे प्राप्त धनराशि से इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन का कार्य किया जायेगा। जिले की जरूरत से अधिक उत्पादन होने पर वाराणसी जैसे महानगरों में भी इसे बिक्री के लिए भेजा जाएगा। इस कार्य में एनआरएलएम समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ने का कार्य किया जाएगा।
पाली हाउस तकनीक ज्यादा फायदेमंद
निरीक्षण के दौरान डीएम ने सामान्य तरीके से खेती की तूलना में पाली हाउस की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की। बताया गया कि पाली हाउस विधि से खेती करने से पैदावार में काफी बढ़ोत्तरी होती है और उसका स्वाद भी अलग होता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस विधि में किसी भी मौसम में कोई भी सब्जी उगाई जा सकती है।
40 से 50 प्रतिशत तक उपलब्ध कराया जाएगा अनुदान
जिलाधिकारी ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण पाने वाली महिलाओं कुल लागत की 40प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, पाली हाउस खेती करने के लिए किसानों को कुल लागत का 50प्रतिशत सब्सिडी प्राप्त कराई जा रही है। डीसी मनरेगा रमेश यादव, डीडी एनआरएलएम, अपर जिला सूचना अधिकारी विनय कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।