उपचुनाव में भाजपा ने चला बडा दांव, बुलंदशहर सीट पर जीत पक्‍की

भाजपा ने अपने दिवंगत विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्‍नी को बुलंदशहर विधानसभ सीट से मैदान में उतारा है। वहीं किरणपाल सिंह के भाजपा में आने से पार्टी की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

Update:2020-10-21 23:16 IST

अखिलेश तिवारी

लखनऊ। विधानसभा की सात सीटों पर हो रहे उपचुनाव में जीत पक्‍की करने के लिए भाजपा ने बडा राजनीतिक दांव चल दिया है। गुरुवार को बुलंदशहर में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की सभा में पूर्व मंत्री व कद़दावर जाट नेता किरणपाल सिंह भाजपा का दामन थाम लेंगे। उनका साथ मिलने से भाजपा अब जाट बाहुल्‍य सीट को अपनी झोली में बरकरार रखने में कामयाब रह सकती है।

किरणपाल सिंह भाजपा में होंगे शामिल

समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके किरणपाल सिंह की छवि साफ-सुथरी राजनीति करने वाले नेता की है। जाट समुदाय में उनकी बात को गंभीरता से लिया जाता है ओर समाज का बडा वर्ग उन्‍हें अपना नेता मानता है। भाजपा को इस सीट पर मुश्किल में डालने के लिए समाजवादी पार्टी ने राष्‍ट्रीय लोक दल से हाथ मिला लिया है।

सपा सरकार में रह चुके कैबिनेट मंत्री, छवि साफ-सुथरी

भाजपा ने अपने दिवंगत विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्‍नी को इस सीट से मैदान में उतारा है। ऐसे में किरणपाल सिंह के भाजपा में आने से पार्टी की ताकत कई गुना बढ जाएगी। बताया जा रहा है कि गुरुवार को जब मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की चुनावी सभा में उनका भाषण होगा। उसी वक्‍त मुख्‍यमंत्री व भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं की मौजूदगी में किरणपाल सिंह भी कमल का फूल अपना लेंगे। चुनावी सभा के दौरान उनको भाजपा में शामिल कराने का फैसला बहुत सोच-समझ कर लिया गया है।

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दिवंगत विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्‍नी को BJP ने उतारा मैदान में

बुलंदशहर विधानसभा सीट पर चुनाव को विपक्षी दलों ने जिस तरह से एक वर्ग विशेष के चारों ओर तक सीमित कर दिया है ऐसे में भाजपा ने जाट समुदाय की अस्‍मिता को पहचान दिलाने की कोशिश की है। भाजपा ने पश्चिम उत्‍तर प्रदेश की जाट रा‍जनीति को ध्‍यान में रखकर किरणपाल सिंह को साथ लाने का फैसला किया है।

समाजवादी पार्टी को करारा झटका

पूर्व मंत्री किरणपाल सिंह के भाजपा में जाने से समाजवादी पार्टी को करारा झटका लग सकता है। सपा अब तक बुलंदशहर में अपनी राजनीति के लिए किरणपाल सिंह की शख्सियत का ही इस्‍तेमाल करती रही है।

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उनकी ईमानदार और स्‍वच्‍छ राजनीति वाली छवि से समाजवादी पार्टी को जाट समुदाय के अलावा अन्‍य वर्गों के बीच पकड बनाए रखने में सहूलियत मिलती रही है। ऐसे में उनका बुलंदशहर में साथ छोडना आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी की स्‍थानीय राजनीति में मुश्किल पैदा करने वाला साबित हो सकता है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।

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