Teele Wali Masjid: टीले वाली मस्जिद में हंगामे पर पोस्टर-बैनर का सच क्या, बैकफुट पर पुलिस अफसर

Teele Wali Masjid: पोस्टर में चौक थाने के प्रभारी का नंबर भी लिखा था। लेकिन, पुलिस के एक्शन प्लान में बदलाव आ गया। घंटे भर में ही पुलिस ने उस बैनर-पोस्टर में से नारेबाजी करने वालों की तस्वीर हटा दी।

Written By :  Shiva Sharma
Update: 2022-06-17 13:23 GMT

Teele Wali Masjid, lucknow

Teele Wali Masjid News : यूपी की राजधानी लखनऊ में पिछले हफ्ते जुमे की नमाज़ के बाद पुलिस के सामने ही 'टीले वाली मस्जिद' (Teele Wali Masjid, Lucknow) के अंदर से कई युवा ने नारे लगाते हुए हुंकार भरी थी। तभी स्थानीय पुलिस और अफसरों को लगा था कि मोर्चा संभालने की कमर कसनी पड़ेगी। ऐसे में इंटेलिजेंस (intelligence) को सतर्क कर दिया गया था। लेकिन, गनीमत रही, कि जिस प्रकार यूपी के अन्य जिलों के हालात थे वैसी बवाल की स्थिति लखनऊ में नहीं बनी।

लखनऊ में कानून-व्यवस्था की स्थिति बरक़रार रही। मगर, उस दिन टीले वाली मस्जिद में हंगामे की तस्वीरें ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। जिसके पोस्टर गुरुवार को मस्जिद के आसपास चस्पा किया गया। वो भी नारेबाजी करने वालो की तस्वीरों के साथ जिसमें साफ़-साफ लिखा था, 'आप सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं, चौक पुलिस।' राजधानी लखनऊ में अमन-चैन बिगाड़ने की साजिश करने वाले तत्व कृपया इन्हें पहचान कर नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें। इनकी पहचान बताने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।'

..आखिर क्या संदेश देना चाहती थी पुलिस?

इसी पोस्टर में चौक थाने के प्रभारी का सरकारी नंबर भी लिखा हुआ था। लेकिन, पुलिस के इस एक्शन प्लान में बदलाव आ गया। घंटे भर में ही पुलिस ने उस बैनर-पोस्टर में से नारेबाजी करने वालों की तस्वीर हटा दी। अब सवाल उठता है कि आखिर पुलिस क्या संदेश देना चाहती थी?

बैनर-पोस्टर में लगी फोटो वाले चिन्हित तो नहीं !

पुलिस के द्वारा चिपकाए गए बैनर-पोस्टरों में जो लोग नज़र आ रहे हैं, क्या पुलिस उन्हें चिन्हित कर चुकी है? क्या कार्रवाई का मन बना रही है? इस सवाल पर अफसर कहते हैं कि कोई ऐसी बात नहीं है? तो फिर सवाल वही, कि हंगामे में शामिल हुए इन नमाजियों की फोटो पोस्टर-बैनर के ज़रिये पुलिस द्वारा सामाजिक रूप से क्यों साझा किया गया। इस बाबत सभी अफसर बैकफुट पर दिख रहे हैं।

बैनर-पोस्टर में तलाशने वालों के साथ क्या करेगी पुलिस?

पुलिस के जो बैनर-पोस्टर गुरुवार को सोशल मीडिया पार वायरल हुए थे, उसके बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर, पुलिस ने नारेबाजी करने वालों को जनता के ज़रिये तलाशने के लिए मन बना लिया था तो फिर किसके कहने पर पुलिस ने पोस्टर उतरवाए? और फिर इतना बड़ा फॉर्मेट तैयार कर छपने के बाद चस्पा करने के लिए जो रणनीति अफसरों ने तैयार की अब उसको किस तरह अमल में लाएंगे।

आज जुमे की नमाज में दिखी लोगों में कमी

आज (17 जून) लखनऊ के चौक स्थित टीले वाली मस्जिद में जुमे की नमाज़ अदा करने आए नमाज़ियों में संख्या बल कम देखने को मिली। हर बार की तरह बड़ी तादात में कई नमाज़ी यहां नहीं पहुंचे। क्या ये पुलिस की 'बैनर-पोस्टर स्ट्रेटजी' का था। ऐसे में पुलिस के अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।अफसर बताते हैं कि स्थानीय पुलिस द्वारा बैनर-पोस्टर लगाए गए थे। जिन्हें फ़ौरन हटा लिया गया।

अफसरों की राय के बिना कैसे लग सकते हैं पोस्टर-बैनर?

जानकार बताते हैं कि, इस तरह के बैनर-पोस्टर का कंटेंट जब तैयार किया जाता है तो कई अफसर इसे 'क्रॉस चेक' करते हैं। उसमें सुधार की भी रुचि रखते हुए खामियां निकलते हैं। ऐसे में बैनर-पोस्टर का तैयार होना और छपना, फिर बाद में टीले वाली मस्जिद के पास चस्पा करना किसी न किसी बात की ओर इशारा करता है।

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