सफर ट्रेन का, किराया हवाई जहाज से अधिक, जानिए क्या है पूरा माजरा
बस्ती, गोंडा, लखनऊ और कानपुर जैसे स्टेशनों पर चढ़े यात्रियों को मिलाकर ट्रेन में सिर्फ 156 यात्री ही पहुंचे। इस तरह योगी सरकार ने एक यात्री पर करीब 10, 846 रुपये खर्च किया।
गोरखपुर: ट्रेन का सफर हवाई जहाज से महंगा हो सकता है क्या? कोई भी कहेगा बिल्कुल नहीं। लेकिन प्रदेश सरकार की नज़रों से देखेंगे तो जवाब मिलेगा, बिल्कुल हाँ। दरअसल, त्रिवेंद्रम समेत दक्षिण भारत के 156 यात्रियों को वापस घर भेजने के लिए योगी सरकार ने रेलवे को हवाई जहाज से अधिक का किराया अदा किया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, त्रिवेंद्रम समेत दक्षिण भारत के यूपी में फंसे 1692 लोगों के लिए यूपी सरकार ने एक ट्रेन बुक की। इसका किराया भी 1000 रुपये प्रति यात्री की दर से रेलवे को अदा कर दिया गया। लेकिन बीते 2 जून को स्पेशल श्रमिक एक्सप्रेस गोरखपुर से रवाना हुई तो गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, लखनऊ, कानपुर, झांसी समेत अन्य जिलों से सिर्फ 156 यात्री ही रवाना हुए।
मई महीने के पहले सप्ताह में प्रदेश सरकार ने अन्य प्रदेशों के लोगों की सूची तैयार की थी। जो किन्ही वजहों से यूपी के विभिन्न शहरों में फंस गए थे। प्रदेश के अफसरों ने कुल 1692 लोगों की सूची तैयार की। जो गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, वाराणसी, सोनभद्र, लखनऊ, कानपुर और झांसी जैसे शहरों मेें फंसे हुए हैं। प्रदेश सरकार ने 1692 लोगों के रजिस्ट्रेशन को देखते हुए रेलवे के खजाने में प्रति यात्री 1000 रुपये किराये के हिसाब से 16.92 लाख रुपये जमा कर दिया। दो जून को ट्रेन गोरखपुर से रवाना हुई तो यहां से सिर्फ 16 यात्री ही रवाना हुए।
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10, 846 रुपये किये खर्च
बस्ती, गोंडा, लखनऊ और कानपुर जैसे स्टेशनों पर चढ़े यात्रियों को मिलाकर ट्रेन में सिर्फ 156 यात्री ही पहुंचे। इस तरह योगी सरकार ने एक यात्री पर करीब 10, 846 रुपये खर्च किया। भाजपा नेता अजय कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि जहां अन्य प्रदेश सरकारों ने मजदूरों को खाना, ठिकाना देने में घोर संवेदनहीन रही, वहीं यूपी सरकार ने दूसरे प्रदेशों के फंसे लोगों पर योगी सरकार ने 10 हजार रुपये से अधिक खर्च कर दिया।
गोरखपुर से चढ़े 600 यात्री
प्रदेश सरकार ने जो सूची तैयार की थी, उसके मुताबिक गोरखपुर रेलवे स्टेशन से 600 यात्री चढ़ने थे। इन यात्रियों के लिए गोरखपुर जिला प्रशासन ने खाने का 600 पैकेट भी तैयार कराया था। ट्रेन रूट से इतर के जिलों में फंसे लोगों के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी। इन यात्रियों को जुटाने को लेकर अफसर दिये गए मोबाइल पर फोन करते रहे लेकिन अधिकतर का फोन स्विच ऑफ मिला। कईयों ने बताया कि वह पहले ही त्रिवेंद्रम अपने घर पहुंच चुके हैं।
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद सक्रिय हुई योगी सरकार
दरअसल, राज्य सरकार के पोर्टल पर महाराष्ट्र, आंध्रा, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्य के लोगों के घर वापसी की गुहार लगाई थी। यह सभी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में लॉकडाउन के समय से फंस गए थे। पोर्टल पर आए आवेदनों पर राज्य सरकार ने विचार करते हुए गोरखपुर से त्रिवेंद्रम तक श्रमिक स्पेशल चलाने की व्यवस्था कर दी। इसके लिए 16 लाख से अधिक की रकम रेल मंत्रालय के खाते में जमा भी कर दिया।
योगी सरकार ने कहा, '16 यात्री है तो क्या, ट्रेन रवाना करो'
गोरखपुर के ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि वाराणसी, सोनभद्र, बलिया, गाजीपुर, देवरिया और कुशीनगर और गोरखपुर से 600 लोगों को गोरखपुर आना था। यहां 600 पैकेट भाोजन की व्यवस्था की गई थी। ट्रेन तैयार थी लेकिन महज 56 लोग ही पहुंचे। शासन में बात की गई तो निर्देश मिला कि जितने यात्री हैं, उन्हें लेकर ही ट्रेन रवाना होगी। गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर सिर्फ 16 यात्री पहुंचे थे। उन्हें रात 9.30 बजे ट्रेन से रवाना किया गया।
रिपोर्टर - पूर्णिमा श्रीवास्तव, गोरखपुर
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