गोरखपुर: टुकड़ों से वजूद में आ रहा ‘चौरीचौरा’, गांव में अभी भी 1000 मीटर की दूरी

चौरीचौरा घटना जिस तरह इतिहास के पन्नों में ठीक से दर्ज नहीं हुआ, उसी तरह चौराचौरा नाम से कस्बे को लेकर घालमेल रहा। चौरीचौरा नाम से भले ही रेलवे स्टेशन, थाना, तहसील के साथ ही विधानसभा क्षेत्र हो लेकिन इस नाम से कोई स्थान अभी भी वजूद में नहीं है।

Update:2021-02-06 11:58 IST
गोरखपुर: टुकड़ों से वजूद में आ रहा ‘चौरीचौरा’, गांव में अभी भी 1000 मीटर की दूरी

गोरखपुर। चौरीचौरा घटना के 100 वें वर्ष में प्रवेश को लेकर प्रदेश सरकार शताब्दी वर्ष मना रही है। पीएम नरेन्द्र मोदी और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बीते 4 फरवरी को आयोजित शताब्दी समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में जहां वर्चुअल मौजूद रहे, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम स्थल पर लोगों को संबोधित किया था। अब मुंडेरा बाजार नगर पंचायत का नाम बदल कर चौरीचौरा करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन ने किया है। कुल मिलाकर चौरीचौरा को नई पहचान शताब्दी वर्ष में मिलने जा रही है। सरकारी दस्तावेज पर चौराचौरा शताब्दी वर्ष का लोगो दर्ज किया जा रहा है। वहीं साल भर विभिन्न शहीद स्थलों पर कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे हैं।

चौरी और चौरा नाम से दो अलग-अलग ग्राम पंचायतें

चौरीचौरा घटना जिस तरह इतिहास के पन्नों में ठीक से दर्ज नहीं हुआ, उसी तरह चौराचौरा नाम से कस्बे को लेकर घालमेल रहा। चौरीचौरा नाम से भले ही रेलवे स्टेशन, थाना, तहसील के साथ ही विधानसभा क्षेत्र हो लेकिन इस नाम से कोई स्थान अभी भी वजूद में नहीं है। आज भी तहसील में चौरी और चौरा नाम से दो अलग-अलग ग्राम पंचायतें हैं। अब शताब्दी वर्ष में मुंडेरा बाजार का नाम चौरीचौरा कर नये सिरे से पहचान की कोशिशें हो रही हैं। 4 फरवरी 1922 में घटना के समय भी थाने का चौरा था। बात में थाने की इसी जमीन पर घटना में मारे गए अंग्रेज पुलिस कर्मियों की याद में स्मारक बना है। घटना के दो साल बाद यानी 1924 में अंग्रेजों ने नये थाना भवन का निर्माण कराया था।

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ऐसे मिल रही चौरीचौरा को पहचान

चौरीचौरा के नाम से स्टेशन और थाना भले ही आजादी के पहले वजूद में रहा हो लेकिन इसके प्रमाणिकता को लेकर काम आजादी के बाद ही शुरू हुआ। मुंडेरा बाजार टाउन एरिया का गठन वैसे तो 1971 में ही हो गया था लेकिन पहला चेयरमैन जय प्रकाश जायसवाल के रूप में 1989 में मिला। अब मुंडेरा बाजार का विस्तार कर इसका नाम चौरीचौरा करने की कवायद शुरू हुई है। वहीं नब्बे के दशक में चौरीचौरा नाम से अलग तहसील बना। 2012 में चौरीचौरा विधानसभा सीट वजूद में आई। इसके पहले मुंडेरा बाजार विधानसभा सीट के लिए विधायक चुने जाते थे।

‘चौरी’ ग्रामीण आबादी तो ‘चौरा’ अब शहर में शामिल हो रहा

चौरीचौरा नाम से कोई जगह नहीं है। चौरी और चौरा आज भी अगल-अलग ग्राम पंचायत के रूप में वजूद में हैं। चौरी और चौरा के बीच करीब 1000 मीटर का फासला है। पिछले दिनों मुंडेरा बाजार नगर पंचायत के विस्तार में चौरा गांव तो शामिल हो गया लेकिन चौरी अभी भी ग्रामीण इलाके में है। चौरा गोरखपुर विकास प्राधिकरण में भी शामिल हो गया है।

रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव

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