युवाओं के लिए दो विश्वविद्यालयों ने आयोजित किया ये कार्येक्रम, दिया ये संदेश
भारतीय शिक्षण मंडल अवध प्रांत और डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में ”भारत एवं युवा कर्तव्य एवं अपेक्षाएं” विषय पर आज दो दिवसीय ई संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अयोध्या। भारतीय शिक्षण मंडल अवध प्रांत और डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में ”भारत एवं युवा कर्तव्य एवं अपेक्षाएं” विषय पर आज दो दिवसीय ई संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि भारत एक युवा देश है। भारत की अधिक से अधिक आबादी युवा है। क्योंकि भारत के पास ही इतनी युवा जनसंख्या उपलब्ध है कि हम इसे एक संसाधन के रूप में देख सकते हैं या ऊर्जा स्रोत के रूप में देखते हैं।
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भारत की तरफ आज पूरा विश्व देख रहा
कुलपति ने कहा कि भारत की तरफ आज पूरा विश्व देख रहा है। भारत के लोग लगभग विश्व के हर देश में हैं और हर देश की व्यवस्था में अपना योगदान दे रहे हैं। यही भारत के युवाओं की ताकत है। आगे उन्होंने कहा कि एंप्लॉयमेंट ओरिएंटेड शिक्षा ने इस देश का भविष्य खराब कर दिया है हम मानव निर्माण से हटकर रोबोट निर्माण में या कर्मचारी निर्माण की प्रक्रिया में लग गए हैं। कर्मचारी एक ऐसा शब्द है कि वह कभी प्रसन्न होता ही नहीं है। दुनिया का कोई भी व्यक्ति नहीं है जो अपनी सैलरी से खुश होता है वह चाहे कितनी भी हो क्योंकि सैलरी मोटिवेट नहीं करती। आप की मेहनत का मूल्य है सैलरी।
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अपना देश युवाओं का देश
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री बी0आर0 शंकरानंद ने बताया कि अपना देश युवाओं का देश है। दुनिया में ऐसा कहलाने वाला यह पहला देश है। क्योंकि जीवन को देखने की दृष्टि और व्यक्ति को देखने की दृष्टि यह दोनों भारत के विशिष्ट होने का कारण है। कोविड-19 महामारी की विकट स्थिति में भी विश्व उत्सुकतापूर्वक भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने बताया कि युवा के अंदर आग और वायु दोनों होनी चाहिए। युवा शब्द को अगर उल्टा कर दिया जाए तो वायु हो जाता है। और अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो तूफान बनकर विध्वंसकारी हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक युवा के जीवन का एक लक्ष्य होना चाहिए। बिना लक्ष्य के युवा कभी सफल हो ही नहीं सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अयोध्या के महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने युवाओ को एक लक्ष्य निर्धारित करने की सलाह दी। इसके लिए किसी एक बुद्धिजीवी, अनुभवी, विद्वान गुरु से परामर्श लेना अति आवश्यक है।
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भारत की संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी नवीन भी
विशिष्ट अतिथि के रूप में नेहरू युवा केंद्र युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के सम्मानित सदस्य शत्रुघ्न प्रताप सिंह ने बताया कि भारत की संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी नवीन भी है। हमारे पूर्वजों ने हमें ज्ञान संस्कृति और परंपराएं दी वह हमेशा नवीन आधुनिक और चिरंतर में रहने वाली हैं क्योंकि उन्होने सत्य को प्रकाशित करने का काम किया है। हमारे भारत की जो प्राचीनता है वही भारत की नवीनता मे बल है। स्वयं व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार करके अपने अंदर बैठे ईश्वर अपने प्रश्नों के उत्तर पूछने चाहिए। यह जो उत्तर हैं वहीं भारत की समृद्धि है और यही भारत की ताकत है।
अन्य वक्ता के रूप में समाजसेवी एवं असि0 प्रोफेसर पं0 रवि शंकर विश्वविद्यालय, रायपुर की डाॅ0 नीता बाजपेयी ने व्यक्ति के कर्तव्य और अपेक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि व्यक्तित्व को निखारना ही शिक्षा का उद्देश्य है। संचालन आदर्श सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 कविता श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर दिलीप सिंह, कविता श्रीवास्तव, बृजेश भरद्वाज, विनीत सिंह, रमेश मिश्र, परिमल तिवारी, परितोष त्रिपाठी, संजीत पांडे आशुतोष मिश्र, अभिनव तिवारी, आलोक शुक्ला, अनूप तिवारी, राजेश आदि सहित विभिन्न प्रांतों से लगभग 350 से अधिक लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्टर- नाथ बक्श सिंह, अयोध्या
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