UP BJP: यूपी बीजेपी को जल्द मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष, इस नेता का नाम सबसे आगे, देखें लिस्ट

UP BJP: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. क्योंकि बुधवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस्तीफे के बाद अब अध्यक्ष कुर्सी खाली हो गई है।

Update: 2022-07-28 09:43 GMT

Swatantra Dev Singh

UP BJP: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. क्योंकि बुधवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के इस्तीफे (BJP state president Swatantra Dev Singh resigns) के बाद अब अध्यक्ष कुर्सी खाली हो गई है. जब तक नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो जाती स्वतंत्र देव सिंह (BJP state president Swatantra Dev Singh resigns) कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे।

बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर कई नामों पर मंथन

बीजेपी अलाकमान नए अध्यक्ष को लेकर कई नामों पर मंथन रहा है, जिनमें ब्राह्मण, ओबीसी और दलित समाज के कई नेता शामिल हैं। इन नेताओं के नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है। उनमें ओबीसी समाज से आने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya), दलित समाज से पूर्व आईपीएस और मंत्री असीम अरुण (Minister Aseem Arun) और कौशल किशोर के साथ ब्राह्मण समाज से पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, विजय बहादुर पाठक और सुब्रत पाठक की दावेदारी मज़बूत मानी जा रही है।

केशव मौर्य के अलावा ओबीसी समाज के जिन नेताओं की चर्चा और है उनमें मंत्री भूपेंद्र चौधरी जो कि पश्चिम से आते हैं, केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बीएल वर्मा भी शामिल हैं।

हालांकि बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की कमान इस बार दलित समाज के किसी नेता को मिल सकती है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए दलितों को साधने के लिए बीजेपी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। असीम अरुण और कौशल किशोर के साथ रामशंकर कठेरिया का है, लेकिन सबसे मजबूत असीम अरुण की दावेदारी बताई जा रही है। क्योंकि वह युवा हैं पूर्व आईपीएस भी रह चुके हैं और तेज तर्रार माने जाते हैं।

बीजेपी युवाओं की पार्टी भी कही जाती है। इसलिए असीम अरुण को कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा सकता है। हालांकि कौशल किशोर भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मिलकर लौटे हैं। उन्होंने मोहनलालगंज में बीजेपी का खाता पहली बार खुलवाया था. उनके पास संगठन चलाने का भी तजुर्बा है. वह अपना खुद का संगठन भी चलाते थे।

जातीय समीकरण बिठाने में लगी बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नगर निकाय चुनाव के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha) को ध्यान में रखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर एक काबिल और तेजतर्रार नेता को बैठाना चाहेगी जो 2014, 2017, 2019, और 2022 की तरह 2024 में पार्टी को सधी रणनीति के सहारे जीत दिला सके। इस समीकरण पर गौर करेंगे तो आपको भी लगेगा कि ये सच हो सकता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के साथ इस वक्त यादवों को छोड़कर ओबीसी की करीब-करीब सभी जातियों का जुड़ाव है।

उनके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह जहां कुर्मी के बड़े नेता बनकर उभरे हैं तो अपना दल एस भी उनके साथ है। सामान्य वर्ग में ठाकुर, ब्राह्मण और कायस्थ समाज भी बीजेपी के साथ ही है. निषाद पार्टी के आने से निषादों का वोट भी बीजेपी के साथ है। अब उसे दलितों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की जरुरत है, जिसके लिए उनका प्लान तैयार हो रहा है। क्योंकि बहुजन समाज पार्टी के कमजोर होने से दलितों को एक अस्थाई ठिकाने की तलाश है। वह बसपा, बीजेपी, सपा, कांग्रेस में अभी बटे हैं।

बीजेपी की नजर इसी दलित वोट बैंक पर आकर टिक गई। सबसे खास जाटव जिस बिरादरी से मायावती आती हैं। उनके दो नेताओं को बीजेपी ने भी आगे किया है. जिनमें उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल और कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य (Cabinet Minister Babyrani Maurya) और आईपीएस की नौकरी छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले स्वतंत्र प्रभार मंत्री असीम अरुण हैं। इसलिए असीम अरुण की दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है।

आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने फहराया अपनी विजय पताका

गौरतलब है की आजम के गढ़ और आजमगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी विजय पताका फहराया है। उसके हौसले बुलंद हैं और उनका अश्वमेघ घोड़ा अब पूरी तरह से खुल चुका है, जो 2024 की रेस जीतने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए 80 का टारगेट भी रख दिया गया है।

राजभर भी आएंगे साथ!

समाजवादी पार्टी से तलाक ले चुके ओमप्रकाश राजभर भी देरसवेर भारतीय जनता पार्टी के साथ आने वाले हैं. क्योंकि सपा से उनका तलाक हो गया है. बहुजन समाज पार्टी उन्हें लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में बीजेपी के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता. बीजेपी की रणनीति एक दम सटीक बैठी है अब वह ओमप्रकाश राजभर को साथ लेकर पूर्वांचल 2022 के चुनाव में जो नुकसान उन्हें हुआ है उसकी भरपाई की कोशिश होगी. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने 80 का लक्ष्य रख दिया है.

Tags:    

Similar News