चला योगी सरकार का डंडा: बर्खास्त हुए दो अधिकारी, अब तक कई पर गिर चुकी है गाज
इसी क्रम में अमेठी के DDO को मिर्जापुर में DDO के पद पर रहते हुए दायित्वों की अनदेखी व नियुक्ति में अनियमितता के कारण सेवा से पदच्युत करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही पीटीएस मेरठ के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक को भी सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए गए हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति ने दागियों और बेइमान अफसरों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों में एक के बाद एक ताबड़तोड़ कार्रवाई से विभागों में खलबली मची हुई है। खासतौर से जांच और विभागीय कार्रवाई से आगे बढ़कर सरकार ने दागियों को जब से जेल भेजना शुरू किया है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर सरकार का वार जारी है लेकिन अब भी इसे खत्म करने के लिए लंबी लड़ाई बाकी है।
मिर्जापुर के DDO और पीटीएस मेरठ को किया गया बर्खास्त
इसी क्रम में अमेठी के DDO को मिर्जापुर में DDO के पद पर रहते हुए दायित्वों की अनदेखी व नियुक्ति में अनियमितता के कारण सेवा से पदच्युत करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही पीटीएस मेरठ के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक को भी सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक निलंबित पुलिस उपाधीक्षक प्रकाश राम आर्या द्वारा अपनी पत्नी नीरू उर्फ डाली तथा मृतक विशाल विलियम्स के मध्य अवैध सम्बंध हो जाने के कारण अपने भतीजे रमेश राम आर्य के साथ मिलकर विशाल विलियम्स को रास्ते से हटाने के लिए सुपारी देकर उसकी हत्या का षडयंत्र रचा। ये पुलिस की विवेचना में पाया गया।
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ये आपराधिक षडयंत्र बिना सूचना के कार्य स्थल से अनुपस्थिति की अवधि में किया गया कृत्य गम्भीर दुराचरण की प्रकृति का है। इसलिये मुख्यमंत्री ने सेवा से पदच्युति जो भविष्य में नियोजन से निरर्हित करता हो का अनुमोदन किया गया है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमेठी के डीडीओ बंशीधर सरोज को मिर्जापुर में डीडीओ के पद पर रहते हुए दायित्वों की अनदेखी व नियुक्ति में अनियमितता के कारण सेवा से पदच्युत करने के आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक बंशीधर सरोज तत्कालीन जिला विकास अधिकारी, मिर्जापुर सम्प्रति जिला विकास अधिकारी अमेठी द्वारा जांच अधिकारी को अपना जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया जबकि जांच अधिकारी द्वारा जवाब देने हेतु कई बार निर्देश दिया गया। जांच अधिकारी द्वारा उपलब्ध अभिलेखों एवं गुणदोष के आधार पर जांच आख्या अंतिम करते हुए जांच आख्या भेजी गई।
उत्तर प्रदेश उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ सेवा नियमावली 1994 के नियमों के विपरीत उर्दू अनुवादक सह कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति करने के साथ ही शासनादेश व नियमावलियों की मनमानी ढंग से व्याख्या कर अपने उच्चाधिकारियों एवं शासन को गुमराह किए जाने के लिए पूर्णतया दोषी हैं।
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अब तक कई अफसरों पर गिर चुकी है गाज
बता दें कि पिछले 2 वर्षों में योगी सरकार अलग-अलग विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है। वहीं 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। जिसमें ऊर्जा विभाग में 169, गृह विभाग में 51, परिवहन विभाग के 37, राजस्व विभाग के 36, बेसिक शिक्षा के 26, पंचायतीराज के 25, पीडब्ल्यूडी के 18, श्रम विभाग के 16, संस्थागत वित्त विभाग के 16, कामर्शियल टैक्स के 16, इंटरटेनमेंट टैक्स डिपार्टमेंट के 16, ग्राम्य विकास के 15 और वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।
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