UP News: अपर्णा यादव को कद के हिसाब से नहीं मिला पद,मुलायम की बहू के साथ हुए खेल की सियासी गलियारों में खूब चर्चा

UP News: मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को लेकर इस समय यूपी में सियासत काफी तेज चल रही है। जानिए बीजेपी द्वारा दिए पद पर क्या हो रही बातें।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-09-04 07:39 GMT

UP News: उत्तर प्रदेश के राज्य महिला आयोग में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आगरा की बबीता चौहान को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। अपर्णा यादव के साथ गोरखपुर की चारु चौधरी को भी उपाध्यक्ष शपत की जिम्मेदारी सौंप गई है। मंगलवार को इस नियुक्ति की जानकारी मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में अपर्णा यादव के राजनीतिक कद को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। भाजपा के कई नेताओं ने भी दबे स्वर में इस बात को स्वीकार किया कि अपर्णा यादव को राजनीतिक कद के मुताबिक पद नहीं दिया गया है। 

2022 में ग्रहण की थी भाजपा की सदस्यता

महिला आयोग में उपाध्यक्ष बनाई गई अपर्णा यादव सपा संस्थापक और उत्तर प्रदेश के कई बार मुख्यमंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना के बेटे प्रतीक के यादव की पत्नी हैं। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। इससे पहले उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का टिकट पर लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हें भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था।

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नहीं मिला टिकट

प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के समय अपर्णा यादव को भाजपा के टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। अपर्णा यादव ने सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट की दावेदारी भी की थी मगर पार्टी की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट का दावेदार माना जा रहा था मगर पार्टी ने इस बार भी उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारा था। हालांकि भाजपा ने अपर्णा यादव के चेहरे का सियासी लाभ उठाने की पूरी कोशिश की। भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में खास तौर से यादव बहुल क्षेत्र में प्रचार में अपर्णा यादव का उपयोग किया था। सपा मुखिया अखिलेश यादव के परिवार के खिलाफ महिलाओं के बीच उन्हें बड़ा चेहरा बनाने की कोशिश की गई थी मगर पिछले तीन वर्षों के दौरान उन्हें कोई भी पद नहीं दिया गया।

राजनीतिक कद के हिसाब से पद नहीं

ऐसे में माना जा रहा था कि अपर्णा यादव का राजनीतिक वनवास जल्द ही खत्म होगा और उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मंगलवार को जब महिला आयोग के पदाधिकारियों और सदस्यों की सूची जारी हुई तो उपाध्यक्ष पद पर अपर्णा यादव का नाम देखकर तमाम लोगों को हैरानी भी हुई। उन्हें महिला आयोग के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी नहीं मिल सकी। आयोग में दो महिलाओं को उपाध्यक्ष बनाया गया है जिनमें एक नाम अपर्णा यादव का भी है। इस कारण भाजपा नेताओं के बीच भी यह चर्चा सुनी गई कि अपर्णा यादव को उनके राजनीतिक कद के हिसाब से पद नहीं दिया गया।

मुलायम की बहू के साथ हो गया सियासी खेल

वैसे किसी भी नेता ने अभी तक इस मुद्दे को लेकर खुलकर कोई बयान नहीं दिया है मगर इसे लेकर चर्चाएं जरूर सुनी जा रही हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम सिंह का नाम काफी बड़ा रहा है। अपर्णा के मुलायम सिंह की बहू होने के कारण यह उम्मीद जताई जा रही थी कि उन्हें भाजपा और योगी सरकार की ओर से किसी महत्वपूर्ण पद पर समायोजित किया जाएगा। करीब तीन साल की मशक्कत के बाद सिर्फ उपाध्यक्ष पद मिलना अपर्णा यादव के लिए घाटे का सौदा माना जा रहा है। यही कारण है कि महिला आयोग के पदाधिकारियों की सूची जारी होने पर लोगों को काफी हैरानी हुई है। कई जानकार तो इसे अपर्णा के साथ बड़ा सियासी खेल तक बता रहे हैं। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि यदि अपर्णा यादव ने अखिलेश यादव से बगावत नहीं की होती तो सपा में उन्हें इससे ज्यादा बड़ा सियासी लाभ हासिल हो सकता था।

क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधा

महिला आयोग की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति एक साल के लिए की गई है। आयोग में 25 सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है। इन सदस्यों में 11 सदस्य पिछड़ी जाति से हैं। क्षत्रिय और वैश्य समाज से तीन-तीन, ब्राह्मण समाज से दो, अनुसूचित जाति से दो और कायस्थ समाज से एक सदस्य है। आयोग के गठन में भाजपा ने क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा है। पश्चिमी यूपी, अवध और कानपुर बुंदेलखंड के साथ पूर्वांचल को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है।

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