Wash Painting में अव्वल हैं लखनऊ के प्रो. सुखवीर सिंघल, 30 मार्च से ललित कला अकादमी में 'सिंहावलोकन कला प्रदर्शनी'

Lucknow Art Exhibition : उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी व संस्कृति विभाग की ओर से 30 मार्च से 8 अप्रैल तक लखनऊ में 'सिंहावलोकन कला प्रदर्शनी' का आयोजन किया जाएगा।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-03-29 15:46 IST

लखनऊ में 'सिंहावलोकन कला प्रदर्शनी' का होगा आयोजन (तस्वीर : न्यूज़ट्रैक)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी व संस्कृति विभाग (Uttar Pradesh State Lalit Kala Academy and Culture Department) की ओर से लखनऊ (Lucknow) के मशहूर चित्रकार प्रो. सुखवीर सिंह सिंघल (Sukhveer Singh Singhal) की 'सिंहावलोकन कला प्रदर्शनी' (art exhibition) 30 मार्च से 8 अप्रैल तक आयोजित होगी। जिसमें प्रो. सुखवीर सिंघल की दुर्लभ वॉश पेंटिंग (Wash Painting) प्रदर्शित होंगी। बता दें कि प्रदर्शनी का आयोजन कैसरबाग लाल बारादरी भवन स्थित अकादमी की कला वीथिका में होगा। प्रदर्शनी का उद्घाटन 30 मार्च 2022 को मेयर संयुक्ता भाटिया करेंगी। प्रदर्शनी के दौरान 4 से 6 अप्रैल तक वॉश पेंटिंग कार्यशाला होगी। 8 अप्रैल को प्रो. सुखवीर सिंघल के कृतित्व-व्यक्तित्व पर आधारित टॉक होगी।

वॉशपेंटिंग में प्रो. सुखवीर सिंघल का नाम शीर्ष पर

राज्य ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने बताया कि आधुनिक चित्रकला के सन्दर्भ में जब हम वॉशपेंटिंग की चर्चा करते हैं, शीर्ष पर लखनऊ के प्रो. सुखवीर सिंघल का नाम आता है। उन्होंने वॉशपेंटिंग में नवीन मौलिक तकनीक का प्रयोग कर वॉशपेंटिंग के क्षेत्र में नई क्रान्ति का सूत्रपात किया। वह सिर्फ वॉशपैंटिंग्स के ही ज्ञाता नहीं थे। अपितु उन्होंने भिन्न-भिन्न माध्यमों पर वॉटर कलर्स से, ऑयल कलर्स, टेपेस्ट्रीवर्क, मूर्तिकारी, लेदर पर फाइन आर्ट और पोट्रेट भी बनाए। कला जगत के इस गुरु ने अपना सम्पूर्ण जीवन कला को समर्पित कर दिया और सौ से भी ज्यादा पेंटिंग्स बनायी। इनकी चित्रकला में इनके अपने खुद के विचार और भावनाओं की झलक देखने को मिलती है।

पिता चाहते थे इंजीनियर बनें

ललित कला अकादमी के अध्यक्ष सीताराम कश्यप ने बताया कि प्रो सुखवीर सिंघल का आदर्श "सादा जीवन और उच्च विचार" रहा है। इनका जन्म 14 जुलाई,1913 को मुजफ्फरनगर जनपद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इन्होंने डीएवी हाई स्कूल से 1930 में हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की। इनके पिता चाहते थे कि ये इंजीनियर बनें। लेकिन, बचपन से ही ये चित्रकला और संगीत में रुचि रखते थे।

अपनी वॉश तकनीक विकसित की

प्रो सुखवीर सिंघल की नातिन प्रियम चंद्रा ने बताया कि प्रो. सिंघल ने अपनी खुद की वॉश तकनीक विकसित की। अपनी लिखी पुस्तक 'भारतीय चित्रकला पद्धति' में उन्होंने अपनी वॉश तकनीक को समझाया है। प्रो सुखवीर के दामाद राजेश जायसवाल ने बताया कि प्रो सुखवीर की चित्रकला की विशेषता यह है कि अपने तरंगित भावों को छः, आठ, बारह चित्रों द्वारा महाकाव्यात्मक श्रृंखलाओं के रूप में व्यक्त किया। उदाहरण के तौर पर जैसे एक बालक का जन्म, वह कैसे बड़ा होता है, उसका पूर्ण जीवन और फिर मृत्यु। दर्शकों को ऐसा प्रतीत होता है, मानो वे चलते-फिरते चित्र देख रहे हों।

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