हिमाचल और प्रदेश के बीच हुआ ये समझौता
उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्तर्राज्यीय परिवहन को बढ़ावा देने तथा लोगों की जरूरतों के अनुरूप यात्रियों को सुगम यातायात की..
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्तर्राज्यीय परिवहन को बढ़ावा देने तथा लोगों की जरूरतों के अनुरूप यात्रियों को सुगम यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ हुए पारस्परिक परिवहन समझौते को आज अन्तिम रूप दे दिया है।
इस समझौते से दोनो राज्यों के आर्थिक विकासः
वही इस समझौते से दोनों राज्यों के बीच आगामी 20 वर्षों तक परिवहन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकेगा। इससे दोनों राज्यों के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी तथा आवागमन की दृष्टि से सड़क परिवहन के क्षेत्र में अप्रत्याशित वृद्धि भी होगी। इस समझौते के माध्यम से उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम तथा हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के संचालन में आसानी होगी तथा लोगों को भी अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में कोई समस्या नहीं आयेगी।
परिवहन सचिव ने दी जानकारीः
प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि दोनों राज्यों के मध्य 7 मई, 2019 को लखनऊ में मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 88 (5) के अन्तर्गत प्रारम्भिक पारस्परिक परिवहन समझौता हस्ताक्षरित किया गया था, आज इसी अधिनियम की धारा 88 (6) के अन्तर्गत इस समझौते को अन्तिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि अब इस समझौते के अन्तर्गत आगामी 20 वर्षों तक दोनों राज्यों के बीच यातायात सुगम हो जायेगा। इस समझौते के अनुसार उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें 67 परमिट के साथ प्रतिदिन निर्धारित 19 मार्गों पर 48 फेरे लगाकर हिमाचल प्रदेश में 3594 किलोमीटर प्रतिदिन संचालित की जायेगी। इसी प्रकार हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें 70 परमिट के साथ प्रतिदिन निर्धारित 27 मार्गों पर 70 फेरे लगाकर उत्तर प्रदेश में 3238 किमी प्रतिदिन संचालित की जायेगी।
6 मई को इससे पूर्व हुआ था समझौताः
प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के मध्य पूर्व में भी 6 मई, 1985 को पारस्परिक परिवहन समझौता हुआ था। इस समझौते के अन्तर्गत उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों को निर्धारित 10 मार्गों पर प्रतिदिन 46 फेरे लगाकर हिमाचल प्रदेश में 2165 किलोमीटर संचालन की अनुमति थी। इसी प्रकार हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों को निर्धारित 11 मार्गों पर प्रतिदिन 22 फेरों के साथ उत्तर प्रदेश में 2142 किलोमीटर संचालन की अनुमति थी।
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रिपोर्टः श्रीधर अग्निहोत्री