लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही 100 अफसरों को ब्लैक लिस्ट में डालने की तैयारी में है। ये वो अफसर हैं जिन के खिलाफ विजिलेंस जांच हुई, और एफआईआर दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी। लेकिन आज तक फाइल लौट कर वापस विजलेंस के दफ्तर तक नहीं आई।
अब ऐसे अफसरों को ज़िलों में या फिर महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। जिन अफसरों को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की तैयारी है। उन में चार दर्जन से अधिक आईएएस और लगभग दो दर्जन आईपीएस अफसर शामिल हैं। विजिलेंस ने शासन को जो सूची सौंपी है, उस में कलेक्टर से लेकर अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसर शामिल हैं।
यूपी में अब दागी अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग मिलने में मुश्किल होगी। उत्तर प्रदेश शासन ने विजिलेंस से दागी ऐसे अफसरों की लिस्ट मांगी थी, जिन अफसरों के खिलाफ विजिलेंस जाँच हुई और दोषी पाए गए। लेकिन सत्ता शासन में पैठ के चलते शासन से एफआईआर दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली।
दरअसल विजिलेंस ने जाँच कर एफआईआर के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। फाइल शासन स्तर तक पहुंचने के बाद रुक गई। यानि शासन ने इन मामलों पर कोई निर्णय ही नहीं लिया।
अब योगी सरकार ने विजिलेंस से ऐसे अफसरों की सूची मांगी थी। जिन के खिलाफ विजिलेंस की जांच हुई हो। शासन से मांगी गई इस जानकारी के बाद विजिलेंस ने 52 आईएएस अरफसरों की सूची शासन को भेजी है। इस लिस्ट में महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान 2 अपर मुख्य सचिव, 4 प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों के अलावा 4 महत्वपूर्ण व बड़े ज़िलों में तैनात आईएएस अफसर शामिल हैं। शासन स्तर पर इन सभी को डम्पिंग यार्ड में डालने की तैयारी की जा रही है। इन में ऐसे अफसर भी शामिल हैं जिन को विजिलेंस ने दोषी माना है।
इसी तरह विजिलेंस की दागी लिस्ट में दो दर्जन आईपीएस अफसर शामिल हैं। दागियों में 3 ज़िलों में पुलिस कप्तानों के तौर पर तैनात अफसरों के अलावा दो सीनिएर अफसरों दो दर्जन अफसरों को ब्लैक लिस्ट में डाला जा रहा है। डम्पिंग यार्ड में डाले जाने वाले अफसरों को फील्ड या फिर महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग नहीं मिलेगी। विजिलेंस जांच में दोषी पीपीएस और पीसीएस अफसरों को भी फील्ड की पोस्टिंग नहीं देने का फैसला हुआ है।
शासन स्तर पर हो रही मिस्टर क्लीन फील्ड पोस्टिंग की कोशिशों के बीच सत्ताधारी दल से करीबी रखने वाले कई अफसरों ने अपने आकाओं के यहां चक्कर काटना शुरू कर दिया है।