योगी आदित्यनाथ-अखिलेश यादव के चाहने वाले एक जैसे, Twitter पर फॉलोवर्स देख सभी हैरान
यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) को लेकर सोशल मीडिया(Social Media) पर काफी रोचक तथ्य सामने आया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) को लेकर सोशल मीडिया(Social Media) पर काफी रोचक तथ्य सामने आया है। इस समय ये तथ्य लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
सोशल मीडिया((Social Media) के प्लेटफॉर्म ट्विटर(Twitter) पर सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (SP Chief Akhilesh Yadav) के फॉलोअर्स की संख्या काफी हैरान कर देने वाली है। विरोधी पार्टियों के दोनों ही नेताओं के ट्विटर एकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या 14.1 मिलियन हो गई है। जिससे सब आश्चर्य हो गए हैं।
फॉलोअर्स की संख्या बिल्कुल एक जैसी
ऐसे में ये पहली बार हुआ है, जब दो एकदम परस्पर विरोधी नेताओं के फॉलोअर्स की संख्या बिल्कुल एक जैसी हो गई है। आपको बता दें अखिलेश यादव ने जुलाई 2009 में ट्विटर एकाउंट बनाया।
बता दें, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ सितंबर माह में साल 2015 में ट्विटर पर आए थे। इस हिसाब से देखें तो योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव से लगभग 6 साल बाद ट्विटर पर आए। लेकिन ये समय जब दोनों ही नेताओं के ट्विटर पर फॉलोवर एक जैसे हो गए।
वैसे दोनों ही नेता ट्विटर पर बहुत सक्रिय रहते हैं। अब इसमें चाहे वह अपनी सरकारों के काम की उपलब्धियां बतानी हों या विरोधी पर ताबड़तोड़ हमले करने हों, दोनों ही लगातार ट्वीट करते रहते हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज ही पीएम मोदी के साथ बैठक की। इस बारे में सीएम योगी ने ट्वीट किया। आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी @narendramodi जी से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट एवं मार्गदर्शन प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
अपनी व्यस्ततम दिनचर्या से भेंट के लिए समय प्रदान करने व आत्मीय मार्गदर्शन करने हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हृदयतल से आभार।
अब आज ही अखिलेश यादव ने विरोधी पार्टी भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किये। उन्होंने लिखा है, "इधर बेकारी-बेरोज़गारी रिकार्ड तोड़ रही है, उधर महंगाई कमर तोड़ रही है। न मनरेगा में काम है, न स्किल मैपिंग का कहीं अता-पता है और न ही इंवेस्टमेंट मीट के निवेश का। व्यापार, कारोबार, दुकानदारी, कारीगरी सब ठप्प है। बंदरबाँट में उलझी भाजपा सरकार से जनता को कोई उम्मीद भी नहीं है।"