क्या है UP STF? जिसने विकास दुबे को किया ढेर, कैसे करती है काम

उत्तर प्रदेश STF की टीमें दो जुलाई से ही विकास दुबे को तलाश कर रही थीं। इस पूरे मामले में एसटीएफ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

Update:2020-07-10 13:06 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल और कानपुर एनकाउंटर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। जानकारी के मुताबिक, यूपी एसटीएफ की टीम उसे उज्जैन से लेकर कानपुर नगरी पहुंच रही थी। तभी रास्ते में पुलिस की गाड़ी पलट गई, जिसमें विकास दुबे और पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस मौके का फायदा उठाकर विकास दुबे किसी तरह गाड़ी से बाहर निकला और घायल पुलिसकर्मी से पिस्तौल छीनकर भागने लगा।

जवाबी कार्रवाई में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे

इस दौरान STF की टीम ने उसे सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन उसने बात ना मानी और पुलिस टीम पर फायरिंग करने लगा। बदले में जवाबी कार्रवाई करते हुए गैंगस्टर विकास दुबे गोली लगने से मारा गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश STF की टीमें दो जुलाई से ही विकास दुबे को तलाश कर रही थीं। इस पूरे मामले में एसटीएफ ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ टीम की काफी ज्यादा तारीफें भी की जा रही हैं।

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तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है एसटीएफ और इसका गठन कब हुआ था और यह कैसे काम करती है?

कैसे काम करती है एसटीएफ?

उत्तर प्रदेश की एसटीएफ यानी स्पेशन टास्क फोर्स का गठन चार मई 1998 को किया गया था। इस फोर्स का गठन पांच खास मकसदों के लिए किया गया था। पहला मकसद था कि माफिया गैंग्स के बारे में सारी जानकारी हासिल कर और फिर उसी इंटेलीजेंस पर बेस्ड जानकारियों पर उन माफिया गैंग्स के खिलाफ एक्शन लेना।

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इन खास मकसदों के लिए हुआ था गठन

दूसरा मकसद था कि उस गैंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी योजना बनाकर उसे कार्यरूप देने का। इसमें खासतौर से आईएसआई एजेंट्स और बड़े क्रीमिनल पर एक्शन लेना शामिल है। बताते चलें कि बाद में आईएसआई एजेंट्स की जिम्मेदारी एटीएस को दे दी गई। टास्क फोर्स को गठन करने का तीसरा मकसद था कि जिला पुलिस के साथ समन्वय करके लिस्टेड गैंग के खि‍लाफ एक्शन लेना।

चौथे मकसद की बात करें तो यह था कि डकैतों के गैंग पर शिकंजा कस कर उन के खिलाफ सख्त एक्शन लेना, खासकर से डिस्ट्रिक्ट बदमाशों के गिरोहों पर। पांचवा उद्देश्य था कि तमामल जिलों के माफियाओं पर शिकंजा कसना। यूपी एसटीएफ अपने लीड तक पहुंचने के लिए आसपास के खुफिया तंत्र का सहारा लेती है।

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इस माफिया के खात्म के लिए STF के गठन पर हुआ विचार

ऐसा कहा जाता है कि यूपी के एक माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला पर शि‍कंजा कसने के लिए इस स्पेशल टास्क फोर्स के गठन का ख्याल आया। कहा जाता है कि श्रीप्रकाश के ताबड़तोड़ अपराध ना केवल पुलिस बल्कि सरकार के लिए भी सिरदर्दी बन चुके थे। जिसके बाद सरकार ने उस पर सख्त एक्शन लेने का मन बना लिया। इसे लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक मीटिंग हुई।

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4 मई 1998 को किया गया स्पेशल टास्क फोर्स का गठन

मुख्‍यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की बैठक में अपराधियों पर शिकंजा कसने और उनसे निपटने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाने का प्लान तैयार हुआ। उसके बाद UP Police के तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य के बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ का गठन किया। इस फोर्स को 4 मई 1998 को तैयार किया गया, जिसका पहला काम श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ना, फिर चाहे जिंदा या मुर्दा।

कौन करता है STF का नेतृत्व?

एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक (ADG) का अधिकारी इस स्पेशल टास्क फोर्स का नेतृत्व करता है। वहीं पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी इसकी सहायता करता है। यह टास्क फोर्स टीम के रूप मे अपना काम करती है, जिसमें हर एक टीम का नेतृत्व डिप्टी एसपी के अतिरिक्त एसपी करते हैं। टास्क फोर्स द्वारा संचालित सभी अभियानों के प्रभारी एसएसपी होते हैं।

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15 साल के अंदर मिले 81 पुलिस वीरता पदक

यह स्पेशल टास्क फोर्स की टीमें ना केवल प्रदेश बल्कि संबंधित राज्य पुलिस की मदद से राज्य के बाहर भी काम करती हैं। एसटीएफ की सर्विलांस जैसी तकनीक और एक फुलप्रूफ रणनीति पर काफी निर्भरता रहती है। इस फोर्स को गठन के 15 साल के अंदर ही भारत के राष्ट्रपति से 81 पुलिस वीरता पदक प्राप्त हो चुके हैं। इसके अलावा एसटीएफ के 60 ऑफिसर्स को उनकी वीरता के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन भी मिल चुका है।

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