बजी खतरे की घंटीः त्रिवेंद्र सिंह रावत का हटना तय, दौड़ में कई दिग्गजों के नाम

उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री की शिकायतों को भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। और दो पर्यवेक्षकों को उत्तराखंड भेजा गया है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के बाद कांग्रेस भी त्रिवेंद्र रावत से इस्तीफा मांग चुकी है।

Update:2021-03-07 13:22 IST
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। खुद भाजपा के शीर्ष नेता राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं।

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। खुद भाजपा के शीर्ष नेता राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं। रावत का विरोध खुद भाजपा विधायक कर रहे हैं जिनका कहना है कि त्रिवेंद्र उनकी बात नहीं सुनते और उन्हें तवज्जो नहीं देते हैं। उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री की शिकायतों को भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। और दो पर्यवेक्षकों को उत्तराखंड भेजा गया है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के बाद कांग्रेस भी त्रिवेंद्र रावत से इस्तीफा मांग चुकी है।

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आक्रोश का इजहार

भाजपा ने दुष्यंत गौतम और रमन सिंह को पर्यवेक्षक के रूप में स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य में भेज दिया है जो कि विधायकों से बात कर कर रहे हैं। खबर है कि पर्यवेक्षकों के सामने भी विधायकों ने रावत के प्रति अपने आक्रोश का इजहार किया है।

करीब दस घंटे तक कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श के बाद हालांकि पर्यवेक्षक दिल्ली लौट गए हैं लेकिन उत्तराखंड की फिजाओं में संभावित नये मुख्यमंत्री के रूप में कई नाम हवा में तैर रहे हैं। वहीं त्रिवेंद्र समर्थक लॉबी विरोधी खेमे पर कार्रवाई होने के प्रति आशान्वित है।

उत्तराखंड में नये संभावित मुख्यमंत्रियों के रूप में जिन नेताओ के नाम चर्चा में हैं उनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश भट, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक, अजय भट्ट, भगत सिंह कोश्यारी के नाम शामिल हैं। हालांकि विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री बनने नहीं जा रहा है।

फोटो-सोशल मीडिया

भाजपा के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि यदि त्रिवेंद्र रावत को हटाया जाता है तो उनके स्थान पर किसी रावत को ही लाया जाएगा जिसमें एक नाम तीरथ सिंह रावत का भी है।

तीरथ सिंह रावत फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और चौबट्टाखाल से भूतपूर्व विधायक (2012-2017) है, वर्तमान में तीरथ सिंह रावत भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं।

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सीबीआई जांच के आदेश पर रोक

पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था। इसके अलावा वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रहे हैं।

हाई कोर्ट के भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश के बाद विपक्ष सीएम रावत के इस्तीफे की मांग कर रहा है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगा दी थी।

फोटो-सोशल मीडिया

वर्ष 2000 में इस पहाड़ी राज्य के गठन के बाद से, राज्य में शासन करने वाली भाजपा और कांग्रेस दोनों ने कई बार अपने मुख्यमंत्री बदले हैं, जिसके परिणामस्वरूप अगले चुनाव में उनको नुकसान भी हुआ है।

खबरों के मुताबिक, 2002 में भगत सिंह कोश्यारी के साथ राज्य के पहले सीएम रहे नित्यानंद स्वामी को सत्ता में आने पर कांग्रेस ने नारायण दत्त तिवारी को चुना - जिन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया।

2007, 2009 और 2011 में, भाजपा के दो सीएम थे भुवन चंद्र खंडूरी और रमेश पोखरियाल। इसी तरह, 2013 की केदारनाथ में बाढ़ के बाद, कांग्रेस ने हरीश रावत के साथ 2017 में सीएम विजय बहुगुणा की जगह ले ली। उत्तराखंड में 2022 में चुनाव होने हैं देखना है भाजपा त्रिवेंद्र के विरोधियों को मंत्रिमंडल के विस्तार के लॉलीपॉप से शांत करती है या मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी जाती है।

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