उत्तराखंड: कथित विकास है, विनाश का कारण, सबको पता है फिर भी...

फरवरी में उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ की वजह से 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और क्षेत्र में एक जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था। इस संदर्भ में जावडेकर की टिप्पणी महत्वपूर्ण है।

Update:2021-03-16 12:11 IST
उत्तराखंड: कथित विकास है, विनाश का कारण, सबको पता है फिर भी...

रामकृष्ण वाजपेयी

उत्तराखंड में चमोली में हुए हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने चमोली में नई पनबिजली परियोजनाओं पर रोक लगा दी थी। अब केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि कि उत्तराखंड में नई परियोजनाओं को अब अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार परोक्ष रूप से यह स्वीकार कर रही है कि उत्तराखंड में विनाश का कारण किसी न किसी रूप में अंधाधुंध गति से किया जा रहा विकास बन रहा है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को संसद में कहा कि मंत्रालय ऊपरी गंगा के दायरे में किसी भी नई परियोजना के लिए अनुमति नहीं देगा। हालांकि जिन परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है, वे प्रभावित नहीं होंगी।

उत्तराखंड के चमोली हादसा में 50 से अधिक लोगों की मौत

फरवरी में उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ की वजह से 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और क्षेत्र में एक जलविद्युत परियोजना को व्यापक नुकसान पहुंचा था। इस संदर्भ में जावडेकर की टिप्पणी महत्वपूर्ण है। जावडेकर ने राज्यसभा में कहा कि इसरो, डीएसटी और हिमालयन स्टडीज़ मिशन सहित देश के छह प्रमुख संस्थान ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं।

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जावड़ेकर के मुताबिक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) प्रत्येक वर्ष निरंतर वनीकरण के लिए "एक तंत्र बना रहा है"। यह जानकारी एक सार्वजनिक मंच पर रखी जाएगी ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। मंत्रालय विकासात्मक परियोजनाओं के लिए जंगलों को साफ करने के एवज में CAMPA या प्रतिपूरक वनीकरण कोष जारी कर रहा है।

'ग्लोबल कार्बन बजट और इक्विटी इन क्लाइमेट चेंज'

अपने भाषण में, जावड़ेकर ने यह भी बताया कि 2010 में प्रकाशित 'ग्लोबल कार्बन बजट और इक्विटी इन क्लाइमेट चेंज' के अनुसार, भारत द्वारा साझा किया गया कार्बन स्पेस संयुक्त राज्य के 29 प्रतिशत की तुलना में सिर्फ 3 प्रतिशत है, जबकि अन्य सभी विकसित देशों का 45 प्रतिशत और चीन का 10 प्रतिशत है।

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उस बैठक, रिकॉर्ड शो, उत्तराखंड में गंगा या उसकी सहायक नदियों पर किसी भी नई पनबिजली परियोजना पर स्थायी प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया; उन लोगों को निराश करें जहां निर्माण आधे रास्ते के निशान तक नहीं पहुंचा था और रेत खनन और बोल्डर क्रशिंग के खिलाफ मजबूत सिफारिशों के साथ आया था।

पनबिजली विकास को शुरू करने की मांग हुई थी

हालांकि, ये फ़ैसले ठंडे बस्ते में हैं क्योंकि उत्तराखंड सरकार ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में अगस्त 2020 में सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफ़नामे में "पनबिजली विकास को फिर से शुरू करने" की मांग की थी।

जावडेकर की संसद में कही बात कितना असर दिखाएगी यह वक्त बताएगा क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय से तो दो साल पहले ही उत्तराखंड में किसी नई परियोजना पर रोक पहले से लगाई जा चुकी है। लेकिन उत्तराखंड में गंगा या उसकी सहायक नदियों पर किसी भी नई पनबिजली परियोजना पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के आदेश से वह लोग निराश हो गए जहां निर्माण आधे तक भी नहीं पहुंचा था। उत्तराखंड की मजबूत रेत खनन लॉबी और बोल्डर क्रशिंग लॉबी के हित भी इससे प्रभावित हुए थे।

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इसके बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने अगस्त 2020 में सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफ़नामे में “पनबिजली विकास को फिर से शुरू करने” की मांग की थी।

विकास की होड़ के चलते उत्तराखंड में त्रासदी

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में आई बाढ़ के बाद इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था यह मामला तीन मंत्रालयों - पर्यावरण, जल संसाधन, और बिजली के बीच में लंबित रहा। अभी तक शीर्ष अदालत के समक्ष इस मामले पर ये तीनों मंत्रालय अपना एकीकृत रुख नहीं रख पाए हैं। इस लिए ऐसा लगता है कि विकास की होड़ के चलते उत्तराखंड में त्रासदी नियति बन चुकी है। जिसे कुछ दिन तक हो हल्ले के बाद भुलाकर फिर से उसी काम को शुरू कर दिया जाता है जिससे विनाश अवश्यंभावी है।

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