दुनिया के लिए खतरा! समुद्र तट में फंसी सैकड़ों व्हेल्स, 25 की गई जान

ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया में मैक्वेरी हार्बर (Macquarie Harbour) समुद्र तट पर 20 सितंबर को करीब 270 पायलट व्हेल (Pilot Whale) आकर फंस गईं।

Update:2020-09-22 12:27 IST
दुनिया के लिए खतरा! समुद्र तट में फंसी सैकड़ों व्हेल्स, 25 की गई जान

कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया में मैक्वेरी हार्बर (Macquarie Harbour) समुद्र तट पर 20 सितंबर को करीब 270 पायलट व्हेल (Pilot Whale) आकर फंस गईं। समुद्री जीवविज्ञानियों (Marine Biologists) को इनके फंसने की खबर मिली थी। जिसके बाद इन्हें बचाने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि अब तक 25 पायलट व्हेलों की पहले ही मौत हो चुकी है।

पानी में तीन समूहों में फंसदी थे व्हेल

जब वैज्ञानिकों ने ऊपर से देखा तो लगा कि करीब 70 व्हेल फंसी हुई हैं लेकिन बाद में पास से देखने पर सही संख्या का पता चल सका। तस्मानिया के प्राथमिक उद्योग, पार्क, जल और पर्यावरण विभाग के मुताबिक, ये मैक्वेरी हार्बर के उथले पानी में तीन समूहों में ये पायलट व्हेल फंसी थीं। मैक्वेरी हार्बर तस्मानिया की राजधानी होबार्ट से उत्तर-पश्चिम में 200 किमी दूरी पर स्थित है।

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अक्सर समुद्र तट पर आकर फंस जाती हैं डॉल्फिन और व्हेल(फोटो- सोशल मीडिया)

अक्सर समुद्र तट पर आकर फंस जाती हैं डॉल्फिन और व्हेल

तस्मानिया में समुद्र तट की रेत पर पायलट व्हेलों के फंसने की घटना नई या कोई असामान्य घटना नहीं है। इस बारे में तस्मानिया पार्क एंड वाइल्डलाइफ सर्विस के एक क्षेत्रीय प्रबंधक निक डेका ने कहा कि तस्मानिया में आमतौर पर हर दो या तीन हफ्तों में एक बार डॉल्फिन और व्हेल के फंसे होने की खबर सामने आती है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में व्हेल के फंसे होने की सूचना दस सालों बाद सामने आई है।

दस साल पहले हुई थी ऐसी घटना

इससे पहले ऐसी ही एक घटना साल 2009 में सामने आई थी। तब समुद्र तट पर करीब 200 व्हेल फंस गई थीं। वहीं साल 2018 में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जिसमें न्यूजीलैंड के तट पर करीब 100 पायलट व्हेलों की मौत हो गई थी।

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समुद्री डॉलफिन की प्रजाति है पायलट व्हेल

पायलट व्हेल की बात की जाए तो यह समुद्री डॉलफिन की एक प्रजाति है। यह सात मीटर लंबी होती है और इसका वजह करीब तीन टन तक होता है। ये व्हेल समूह में यात्रा करती हैं जिसे व्हेलों की फली भी कहा जाता है। ये समुद्र तट पर अपने समूह के एक लीडर को फॉलो करती हैं। अगर इस ग्रुप में कोई साथी घायल हो जाता है तो ये उसके आसपास जुट जाती हैं।

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व्हेल मछलियों और डॉल्फिंस के समुद्री तट पर फंसने को सिटेसियन स्ट्रैंडिंग या बीचिंग भी कहते हैं (फोटो- सोशल मीडिया)

अब तक नहीं समझा जा सका इसे

ऐसा कहा जाता है कि कई बार कोई एक व्हेल किनारे पर आ जाती है और तकलीफ में दूसरी व्हेलों के पास संकेत भेजती है। उन संकेतों को मिलने पर दूसरी व्हेल मछलियां भी उसके पास आने लगती हैं और फंसती चली जाती हैं। व्हेल मछलियों और डॉल्फिंस के समुद्री तट पर फंसने को सिटेसियन स्ट्रैंडिंग या बीचिंग भी कहते हैं। यह एक तरह की खुदकुशी की प्रक्रिया कहलाती है।

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समुद्र तट पर फंसने के बाद हो जाती है मौत

ज्यादातर मछलियाों की समुद्र तट पर फंसने के बाद मौत हो ही जाती है। हालांकि अब तक सामूहिक तौर पर समुद्री तट पर मछलियों के फंसने की प्रक्रिया को समझा नहीं जा सका है। मरीन बायोलॉजिस्ट का कहना है कि इनकी कई वजह है। मुद्री जल के तापमान का बढ़ना, क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण भी इसकी एक वजह है।

इसके अलावा इकोलोकेशन और जियोमैग्नेटिक दुष्प्रभावों के चलते भी ये मछलियां अपना सोनार सिस्टम सहीं से चला नहीं पाती। या फिर कई बार कोई बड़ा भूकंप या ज्वालामुखीय गतिविधी होने से पहले समुद्र के अंदर निकलने वाली जियोमैग्नेटिक लहरों की वजह से भी व्हेल और डॉलफिंस का सोनार सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।

इससे ये मछलियां अपनी दिशा निर्धारण नहीं कर पाती है और फिर समुद्री तटों पर आकर फंस जाती हैं। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

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