Afghan Taliban War: फिर गृह युद्ध में फंस रहा अफगानिस्तान

अफगानिस्तान में दिनोंदिन तालिबान का दायरा बढ़ता जा रहा है और अब पूरे देश में तालिबानी कंट्रोल का अंदेशा गहरा गया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-08-03 14:33 IST

फिर गृह युद्ध में फंस रहा अफगानिस्तान: फोटो- सोशल मीडिया

Afghan Taliban War: अफगानिस्तान में दिनोंदिन तालिबान का दायरा बढ़ता जा रहा है और अब पूरे देश में तालिबानी कंट्रोल का अंदेशा गहरा गया है। तालिबानी लड़कों ने तीन प्रांतीय राजधानियों-कंधार, हेरात और लश्कर गह पर कब्जा कर लिया है। जिन शहरों की सुरक्षा के लिए अमेरिका और नाटो के सैनिकों ने 20 साल के दौरान अपनी जानों की कुर्बानी दी वो सब शहर एक-एक करके तालिबान के कब्जे में आते जा रहे हैं। जिस तरह तालिबान ने मारकाट मचाई है उसके बाद अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने तालिबान पर युद्ध अपराधों का दोषी करार दिया है। अफगानिस्तान में अमेरिका के पूर्व सैन्य कमांडर डेविड पेट्रायूस ने कहा है कि अमेरिका अपना कर्तव्य निभाने में नाकामयाब रहा है और उसकी सेनाओं की वापसी के चलते अफगानिस्तान बेहद खतरनाक गृह युद्ध में फंस जाएगा।

आने वाले दिनों की आशंका में अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने मददगारों को बाहर निकाल कर अमेरिका पहुंचा रहा है। वहीँ जो आम अफगानी अमेरिका की मौजूदगी के दौरान मॉडर्न लाइफस्टाइल अपना चुके थे वो अब अपनी जान पर ख़तरा देख रहे हैं। अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट अब मौजूदा हालात के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। तालिबान के बढ़ते क़दमों के चलते हजारों लोग देश छोड़ कर भागने लगे हैं क्योंकि लोगों को अब अफगान सरकार पर ज़रा भी भरोसा नहीं बचा है।

तालिबान अब तक अफगानिस्तान के 420 जिलों में से आधे पर कंट्रोल कर चुका है। और दिनोंदिन अफगानी सुरक्षा बालों पर तालिबान के हमले बढ़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार जनवरी से जुलाई तक अफगानिस्तान से करीब 2 लाख 70 हजार लोग पलायन कर चुके हैं जबकि 35 लाख लोग अपने देश में ही विस्थापित हुए हैं।

अमेरिकी सेना की वापसी में जल्दबाजी: फोटो- सोशल मीडिया

जल्दबाजी में वापसी

अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो की अधिकांश सेनाएं वापस जा चुकी हैं। बस कुछ मुट्ठी भर अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में बचे हैं जो 31 अगस्त को वापस हो जायेंगे और इसी के साथ अमेरिका की अफगानिस्तान से पूर्ण वापसी हो जायेगी। अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट अशरफ गनी ने देश के मौजूदा हालात के लिए अमेरिकी की हड़बड़ी में वापसी को जिम्मेदार ठहराया है। जानकारों का कहना है कि अब अफगानिस्तान फिर से एक और गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है जिसमें रूस और चीन प्रमुख भूमिकाएं निभाएंगे।


पाकिस्तान की भूमिका: फोटो- सोशल मीडिया

पाकिस्तान की भूमिका

तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में किसी तरह के बंटवारे के पक्ष में नहीं है। उसकी मंशा अफगानिस्तान के समूचे इलाके पर अपना कब्जा जमाने की है। तालिबान को पाकिस्तान से पूरी मदद मिल रही है और कहा जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के लड़ाके भी अफगानिस्तान में जारी जंग में सक्रियता से हिस्सा ले रहे हैं। भले ही पाकिस्तान अफगान सरकार एवं तालिबान के बीच शांति बहाली की कोशिशों में लगे होने का दावा करता है लेकिन वह अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित करने में पूरी शिद्दत से लगा हुआ है। चीन, ईरान और रूस भी तालिबान नेतृत्व के साथ संपर्क में हैं। इन देशों का आकलन है कि अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए तालिबान से मिल कर चलना होगा। अमेरिका भी आगे चलकर तालिबान के साथ मेलमिलाप कर रिश्ते बहाल कर सकता है। यूरोपीय देश भी अमेरिका का अनुसरण कर सकते हैं।

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