Afghanistan vs Taliban: कंधार पर कब्जे के बाद तालिबान को यूरोपीय संघ की कड़ी चेतावनी, अपने लोगों को बचाने में जुटा अमेरिका
अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद तालिबान ने काबुल के बाद अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर भी कब्जा कर लिया है।
Afghanistan vs Taliban: अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद तालिबान की ताकत में लगातार इजाफा होता जा रहा है। काबुल के बाद अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में कई दिनों से चल रहे खूनी संघर्ष के बीच तालिबान की नजर अब राजधानी काबुल पर टिकी हुई है। अब तक तालिबान ने अफगानिस्तान के 34 में से 12 प्रांतों पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गई है।
इस बीच यूरोपीय संघ ने कहा है कि तालिबान हिंसा से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने की मुहिम में जुटा हुआ है। यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि हिंसा से सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पूरी तरह अलग-थलग कर दिया जाएगा। दूसरी ओर अमेरिका ने अपने नागरिकों को तत्काल अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा है। अमेरिका की ओर से पहले अनुमान लगाया गया था कि काबुल पर कब्जा करने में तालिबान को 90 दिन का समय लग सकता है मगर अब अमेरिका का अनुमान गलत साबित होता दिख रहा है।
कंधार के बाद अब काबुल पर निशाना
अफगानिस्तान पर तालिबान की पकड़ काफी तेजी से मजबूत होती जा रही है। कंधार पर तालिबान के कब्जे को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि अब काबुल पर भी जल्दी ही तालिबान का कब्जा हो जाएगा। कंधार पर कब्जे के बाद तालिबान की ओर से एक वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें तालिबान के लड़ाकों के शहीद चौक पर पहुंचने का दावा किया गया है। 12 प्रांतों पर तालिबान की ओर से कब्जा किए जाने के बाद अब मजार-ए-शरीफ और काबुल ही ऐसे बड़े शहर हैं जहां अभी तक तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है।
कंधार पर गुरुवार रात तालिबान का कब्जा होने के बाद सरकारी अधिकारी और उनका दल किसी तरह जान बचाकर इलाके से भाग निकले। कंधार पर कब्जे से पहले तालिबान ने गुरुवार को ही दो और प्रांतीय राजधानियों गजनी और हेरात पर भी कब्जा कर लिया था। तालिबान के लड़ाके अब काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर हैं और अब उनका अगला निशाना काबुल ही माना जा रहा है।
यूरोपीय संघ की मान्यता न देने की चेतावनी
इस बीच यूरोपीय संघ ने तालिबान को हिंसा से सत्ता हासिल करने पर की कोशिश पर कड़ी चेतावनी दी है। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख योसेप बोरेल ने इस बाबत जारी बयान में कहा कि ताकत से सत्ता हथियाने और इस्लामिक देश की स्थापना करने पर तालिबान को किसी भी तरह की मान्यता नहीं मिलेगी। उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असहयोग का सामना करना पड़ेगा और तालिबान विश्व समुदाय में पूरी तरह अलग-थलग पड़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में लड़ाई इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं है और आगे भी वहां अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। बोरेल ने कहा कि यूरोपीय संघ अफगानिस्तान के लोगों को समर्थन और सहयोग जारी रखना चाहता है मगर तालिबान की नीतियों को देखते हुए ऐसा करना संभव नहीं दिखता। उन्होंने तालिबान से तत्काल अफगानिस्तान में हिंसा रोकने और अफगानिस्तान की सरकार से बातचीत करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार को भी इस बाबत पहल करनी चाहिए।
अमेरिका ने की तालिबान से अपील
उधर अमेरिका ने पाकिस्तान से अफगान सीमा पर तालिबान के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि उसे अपने इलाके में तालिबान को पनाह नहीं देनी चाहिए। अमेरिका से खफा चल रहे पाकिस्ता न के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका को जवाब देते हुए कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान के खिलाफ पाकिस्तान को इस्तेमाल करने की साजिश रच रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत के बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों से अफगानिस्तान तत्काल छोड़ने को कहा है। अमेरिकी वार्ताकारों ने तालिबान से अपील की है कि अगर वह काबुल पर कब्जा करने में कामयाब हो जाता है तो उसे अमेरिकी दूतावास पर हमला नहीं करना चाहिए।
अमेरिका ने अपने नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाने की अपील की है। अमेरिका को पहले तालिबान के 90 दिनों में काबुल तक पहुंचने की उम्मीदें थी मगर अमेरिकी अनुमान अब गलत साबित होता दिख रहा है।
सत्ता में हिस्सेदारी स्वीकार नहीं
दूसरी ओर तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद का कहना है कि अफगानिस्तान के लोग तालिबान का स्वागत कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि हम बातचीत के लिए राजनीतिक रास्ते बंद नहीं कर रहे हैं मगर सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव हमें कतई स्वीकार नहीं है। जबीउल्लाह ने कहा कि काबुल की सरकार के साथ तालिबान किसी भी प्रकार की हिस्सेदारी नहीं करना चाहता। हम काबुल की सरकार के साथ एक दिन भी काम नहीं कर सकते।
सूत्रों के मुताबिक अफगान सरकार की ओर से तालिबान को सत्ता में हिस्सेदारी का ऑफर दिया गया था मगर अब तालिबान ने इस ऑफर को पूरी तरह ठुकरा दिया है। तालिबान काबुल सहित पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने की मुहिम में जुटा हुआ है और अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए तालिबान लड़ाकों ने पूरी ताकत झोंक दी है।