चीन की खैर नहीं: अमेरिका कर रहा सेना को तैनात, ये देश दे रहा है साथ

अमेरिका द्वारा ऑस्ट्रेलिया के डारविन में करीब 1200 सैनिकों की तैनाती की जा रही है। कुछ हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया ने चीन से कोरोना वायरस फैलने को लेकर जांच की मांग की थी। जिसका चीन ने कड़ा विरोध जताया था और बदले में ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाली चीजों पर भारी टैरिफ लगा दिया था।

Update:2020-05-26 14:26 IST

नई दिल्ली: अमेरिका शुरू से कहता आ रहा है कि कोरोना महामारी, चीन की ही देन है। इसको लेकर दुसरे देशों की भी यही राय है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जिसको लेकर बीते कुछ हफ्तों में चीन के संबंध अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से खराब हो गए हैं। अमेरिका ने दो महीने पहले का अपना फैसला पलटते हुए ऑस्ट्रेलिया में मरीन सैनिकों को तैनात करने का फैसला किया है।

ऑस्ट्रेलिया ने चीन से की थी ये मांग

एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका द्वारा ऑस्ट्रेलिया के डारविन में करीब 1200 सैनिकों की तैनाती की जा रही है। कुछ हफ्ते पहले ऑस्ट्रेलिया ने चीन से कोरोना वायरस फैलने को लेकर जांच की मांग की थी। जिसका चीन ने कड़ा विरोध जताया था और बदले में ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाली चीजों पर भारी टैरिफ लगा दिया था। जिसके कारण आस्ट्रेलिया मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है।

अमेरिका ने मार्च में फैसला किया था ये फैसला

रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि आने वाले हफ्तों में अमेरिका अपने 1200 सैनिकों को ऑस्ट्रेलिया में तैनात करेगा। इससे पहले अमेरिका ने मार्च में फैसला किया था कि कोरोना महामारी के खतरे की वजह से इस साल मरीन रोटेशनल फोर्स की तैनाती ऑस्ट्रेलिया में नहीं की जाएगी। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क इस्पर ने तब अमेरिकी सैनिकों के देश से बाहर किसी भी मूवमेंट पर रोक लगा दी थी।

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2500 मरीन्स की तैनाती ऑस्ट्रेलिया के डारविन में होगी

बता दें की सेना की तैनाती के बाद अब अमेरिकी मरीन्स, ऑस्ट्रेलिया के सुरक्षा बलों के साथ सितंबर तक ट्रेनिंग करेंगे। मूल योजना के तहत 2500 मरीन्स की तैनाती ऑस्ट्रेलिया के डारविन में होनी थी। इतनी ही संख्या में मरीन्स को पिछले साल भी यहां तैनात किया गया था।

14 दिनों तक क्वारनटीन में भी रहना होगा

ऑस्ट्रेलिया पहुंचने पर मरीन्स को 14 दिनों तक क्वारनटीन में भी रहना होगा। ऑस्ट्रेलिया की रक्षा मंत्री लिंडा रेनॉल्ड्स ने कहा है कि सैनिकों की तैनाती अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के करीबी संबंध को दर्शाता है।

लिंडा रेनॉल्ड्स ने कहा कि मैरीन रोटेशनल फोर्स, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया संबंधों की मजबूती को दिखाता है और इससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर साझा प्रतिबद्धता का संदेश जाता है।

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी शुरुआत

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और ऑस्ट्रेलिया की तत्कालीन प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड ने पहली बार 2011 में मरीन रोटेशनल फोर्स की तैनाती का फैसला किया था। मरीन्स का पहला दल 2012 में ऑस्ट्रेलिया आया था जिसमें 200 सैनिक थे। इसके बाद से दल में मरीन्स की संख्या बढ़ती गई। क्या इस फैसले से यह जाहिर होता है, कि चीन और अमेरिका के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन रही है।

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