चीन के खिलाफ खुलकर उतरा अमेरिकाः अब क्या करेगा ड्रैगन
अमेरिकी विदेश मंत्री ने खुलकर कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और चीन की सेना भारत से लगने वाली सीमा पर तनाव बढ़ाने की साजिश में जुटी हुई है। उन्होंने भारत के रवैये का समर्थन करते हुए तनाव बढ़ाने के लिए चीन को ही पूरी तरह जिम्मेदार बताया।
वाशिंगटन। चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर अमेरिका अब खुलकर भारत के साथ आ गया है। अमेरिका ने भारत की सीमा पर तनाव बढ़ाने के लिए चीन को जिम्मेदार बताया है। अमेरिका ने चीनी सेना के रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को दुष्ट तक बताया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने सीमा विवाद के मुद्दे पर चीन की सरकार की खुलकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी नाटो जैसे संस्थानों की उपलब्धियों को निष्फल बनाने की साजिश में जुटी हुई है।
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अपने हिसाब से नियम कायदे बनाता है चीन
कोपनहेगन डेमोक्रेसी समिट में यूरोप और चीन की चुनौतियां विषय पर बोलते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि चीन अपने फायदे के हिसाब से सारे नियम कायदे बनाता है। अपने वर्चुअल संबोधन में उनहोंने कहा कि पश्चिमी जगत को कई साल तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से उम्मीदें बनी रहीं। पश्चिमी जगत की सोच थी कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपना रवैया बदल कर चीनी नागरिकों का जीवन स्तर सुधार सकती है मगर पश्चिमी जगत की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी सहयोग पूर्ण संबंधों का झांसा देकर दुनिया के दूसरे देशों की सदाशयता का गलत फायदा उठाती रही।
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सीमा पर तनाव बढ़ाने की चीन की साजिश
अमेरिकी विदेश मंत्री ने खुलकर कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और चीन की सेना भारत से लगने वाली सीमा पर तनाव बढ़ाने की साजिश में जुटी हुई है। उन्होंने भारत के रवैये का समर्थन करते हुए तनाव बढ़ाने के लिए चीन को ही पूरी तरह जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में भी चीन सेना का जमावड़ा बढ़ाकर अपना क्षेत्र बढ़ाने की साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा कि सही बात तो यह है कि चीन हमारी उदारता का गलत फायदा उठाने में जुटा हुआ है।
चीन ने तोड़ दीं सारी उम्मीदें
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने बड़ी उम्मीदों के साथ दशकों तक चीन में भारी निवेश किया मगर इन उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फिर गया है। उन्होंने कहा अमेरिका और यूरोपीय देशों की मदद से चीनी सेना से जुड़े लोगों के लिए शैक्षिक संस्थान खोले गए और चीन की सरकार द्वारा प्रायोजित बच्चों को अपने यहां पढ़ने का मौका तक दिया गया मगर इन सारे कदमों का कोई फायदा नहीं निकला और चीन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।
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हांगकांग में चीन कर रहा बर्बरता
उन्होंने कहा कि चीन हांगकांग में भी बर्बर नीतियों का पालन कर रहा है। वहां लोकतंत्र समर्थकों की आवाज को बर्बरतापूर्ण तरीके से कुचला जा रहा है। उइगर मुस्लिमों की कहानी किसी से छिपी हुई नहीं है और उन पर भी चीन में जुल्म ढाए जा रहे हैं। हाल में ही चीन ने अपने पड़ोसी देश भारत के साथ खूनी संघर्ष करते हुए 20 सैन्य कर्मियों को बर्बर तरीके से मारा है। उन्होंने कहा कि इन सब कदमों से पता चलता है कि चीन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।
भारतीय सैन्य कर्मियों की बहादुरी को सलाम
उन्होंने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ खूनी झड़प में शहीद होने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि भारतीय सैन्य कर्मियों के साथ की गई बर्बरता के बाद हम सभी के मन में संवेदना के भाव होने चाहिए। निश्चित रूप से इन सैन्य कर्मियों ने बहादुरी का काम किया है और उन्हें सलाम किया जाना चाहिए।
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