बाइडेन प्रशासन को कड़ी आपत्ति, मोदी सरकार की इस नीति पर उठाई उंगली
अमेरिकी बाइडेन प्रशासन ने भारत की मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कैंपेन और व्यापार नीतियों पर चिंता व्यक्त की है। ऐसे में बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को बताया कि भारत का 'मेक इन इंडिया' कैंपेन पर जोर देना अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय व्यापार में बड़ी चुनौतियों को दर्शाता है।
नई दिल्ली। अमेरिकी बाइडेन प्रशासन ने भारत की मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कैंपेन और व्यापार नीतियों पर चिंता व्यक्त की है। ऐसे में बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी कांग्रेस को बताया कि भारत का 'मेक इन इंडिया' कैंपेन पर जोर देना अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय व्यापार में बड़ी चुनौतियों को दर्शाता है। इस कड़ी में 2021 के लिए व्यापार नीति पर आई रिपोर्ट में यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) ने कहा कि साल 2020 में अमेरिका की तरफ से भारतीय बाजार में पहुंच से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की कोशिश जारी रखी गई। जिस पर यूएसटीआर ने कहा कि भारत की व्यापार नीतियों से अमेरिकी निर्यातकों पर भी असर पड़ा है।
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व्यापारिक संबंधों की चुनौतियां
ऐसे में यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव(USTR) ने सोमवार को कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा, "भारत अपने बड़े बाजार, आर्थिक वृद्धि और विकास के तमाम मौकों की वजह से तमाम अमेरिकी निर्यातकों के लिए जरूरी बाजार बन गया है। लेकिन भारत के व्यापार को सीमित करने वाली नीतियों की वजह से दोनों देशों के व्यापारिक संबंध में मौजूद संभावना कमजोर पड़ती जा रही है। वहीं भारत का 'मेक इन इंडिया' कैंपेन के जरिए आयात कम करने पर जोर देना हमारे द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों की चुनौतियों को जाहिर करता है।"
इस बारे में 5 जून 2019 को अमेरिका ने भारत के लिए 'जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेस' (जीएसपी) के तहत व्यापार में मिलने वाली विशेष तरजीह और छूट को खत्म कर दिया था। जिसके चलते भारत को जीएसपी के फायदों से वंचित करने के बाद अमेरिका ने भारत के साथ बाजार में पहुंच और इसके नियमों को लेकर वार्ता की। साल 2020 में भी दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत जारी रही।
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र-टैरिफ बैरियर्स को लेकर विवाद
सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि भारत कई टैरिफ में कटौती करे और बाजार में अमेरिकी कंपनियों की पहुंच और सुलभ हो। इसके अलावा, गैर-टैरिफ बैरियर्स को लेकर भी कुछ विवाद हैं।
इसके तहत रिपोर्ट के हिसाब से, अमेरिका ने साल 2020 में द्विपक्षीय व्यापार के तमाम मुद्दों को लेकर अपनी चिंताएं भारत के सामने रखीं। इसमें बौद्धिक संपदा सुरक्षा और क्रियान्वयन, इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स और डिजिटल व्यापार को प्रभावित करने वाली नीतियां और कृषि और गैर-कृषि उत्पादों के बाजार में पहुंच जैसे मुद्दे शामिल थे।
वहीं यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन अमेरिकी सेवाओं के आयात के मामले में शीर्ष स्थान पर है। ब्रिटेन ने साल 2019 में अमेरिका से 62 अरब डॉलर की सेवाएं लीं। जबकि भारत (29.7 अरब डॉलर), इस मामले में कनाडा (38.6 अरब डॉलर) जापान (35.8 अरब डॉलर), जर्मनी (34.9 अरब डॉलर) और मेक्सिको (29.8) के बाद छठवें स्थान पर रहा।
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