बिडेन ने आरएसएस से सम्बन्ध रखने वालों से बनायी दूरी, ये है बड़ी वजह

बराक ओबामा के प्रशासन में काम कर चुकीं सोनल शाह और अमित जानी को बिडेन ने अपने साथ नहीं रखा है। अमित जानी तो बिडेन के चुनाव अभियान टीम में भी थे। बताया जाता है कि इन दोनों को दूर रखने की वजह उनका आरएसएस-भाजपा से जुड़ाव होना है।

Update: 2021-01-22 07:43 GMT
बिडेन ने आरएसएस से सम्बन्ध रखने वालों से दूरी बनायी

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। अमेरिका के नए प्रेसिडेंट जो बिडेन द्वारा अपने प्रशासन में 20 भारत वंशियों को शामिल किये जाने पर राजनीतिक हलकों में प्रशंसा की जा रही है लेकिन जिन लोगों को प्रशासन से दूर रखा गया अगर उनपर नजर डाली जाए तो कुछ और तस्वीर निकल कर आती है।

अमित जानी बिडेन के चुनाव अभियान टीम का हिस्सा थे

बराक ओबामा के प्रशासन में काम कर चुकीं सोनल शाह और अमित जानी को बिडेन ने अपने साथ नहीं रखा है। अमित जानी तो बिडेन के चुनाव अभियान टीम में भी थे। बताया जाता है कि इन दोनों को दूर रखने की वजह उनका आरएसएस-भाजपा से जुड़ाव होना है।

सोनल शाह बिडेन की यूनिटी टास्क फोर्क में काम कर चुकी हैं लेकिन उनके पिता ‘ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ़ बीजेपी-यूएसए’ नामक संगठन के प्रेसिडेंट हैं। वो ‘एकल विद्यालय’ के संस्थापक भी हैं।

अमित जानी की बात करें तो उनको बिडेन के अभियान में ‘मुस्लिम आउटरीच कोऑर्डिनेटर’ बनाया जाना था लेकिन जब ऐसी बात उठी कि जानी के सम्बन्ध भाजपा के सीनियर नेताओं से हैं तो उनको कुछ और पद दे दिया गया।

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देवयानी खोबर्गाड़े एक आईएफएस अफसर

बिडेन की टीम में वरिष्ट राजनयिक उजरा जेया हैं जिन्होंने देवयानी खोबर्गाड़े केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देवयानी खोबर्गाड़े एक आईएफएस अफसर हैं जिनपर न्यूयॉर्क में भारतीय कांसुलेट में तैनाती के दौरान वीजा फ्रॉड का आरोप लगा था। इसके अलावा बिडेन ने समीरा फ़ाज़ली को भी जगह दी है। समीरा फाजली ने सीएए, एनआरसी और कश्मीर लॉकडाउन के खिलाफ अमेरिका में विरोध प्रदर्शनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

आरएसएस-भाजपा से लिंक वालों को दूर ही रखा जाए

एक तरफ बिडेन के प्रशासन में उन लोगों को जगह नहीं मिली है जिनके लिंक आरएसएस-भाजपा से हैं दूसरी ओर सेक्युलर भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने बिडेन-हैरिस पर दबाव बना रखा है कि ऐसे लिंक वालों को दूर ही रखा जाए। बिडेन प्रशासन ऐसे लोगों को भी जगह देने से हिचकिचा रहा है जो चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। मिसाल के तौर पर श्रीप्रेस्टन कुलकर्णी को ही लें। चुनाव में कुलकर्णी के खिलाफ भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने जोर शोर से प्रचार किया था। तुलसी गब्बार्ड भी इन्हीं वजह से चुनाव हार गयीं थीं।

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बिडेन प्रशासन में संघ-भाजपा लिंक वाले लोगों को जगह न मिल सके इसके लिए 19 भारतीय-अमेरिकी संगठनों ने बिडेन को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी से बहुत से ऐसे लोग जुड़े हुए हैं जिनके ताल्लुक भारत के हिंदुत्ववादी संगठनों से हैं।

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